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महंगाई की मार ,कैसे सजे सरकारी स्कूलों में बच्चों की थाली में पोषाहार

locationउदयपुरPublished: Aug 22, 2023 01:17:50 am

Submitted by:

surendra rao

स्कूलों में मिड डे मील की गुणवत्ता हो रही है प्रभावित

बाजार मूल्य के अनुसार नहीं मिल रही कुकिंग कन्वर्जन राशि

महंगाई की मार ,कैसे सजे सरकारी स्कूलों में बच्चों की थाली में पोषाहार
महंगाई की मार ,कैसे सजे सरकारी स्कूलों में बच्चों की थाली में पोषाहार

भूपेंद्र सरवार

झल्लारा. मिड डे मील योजना के तहत सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के सभी बच्चों को प्रतिदिन मध्याह्न भोजन दिया जाता है , ताकि स्कूलों में बच्चे रोजाना आएं और उन्हें पर्याप्त पोषण मिलता रहे, लेकिन बढ़ती महंगाई ने सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की थाली का बजट बिगाड़़ दिया है। महंगाई की वजह से प्रदेश के 70 लाख विद्यार्थियों की मिड डे मील की थाली खाली होने लगी है। बात अगर अकेले सलूम्बर जिले की करें तो यहां भी हजारों बच्चे इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं !
दाल और सब्जी में पानी ज्यादा
हरी सब्जियां महंगी होने के चलते बच्चों को प्रतिदिन दोपहर में मिलने वाले भोजन में हरी सब्जियां गायब होने लगी है। सब्जियों के अलावा तेल, दाल और गैस के साथ मसालों के दाम भी पिछले 1 साल में काफी बढ़े हैं, लेकिन मिड डे मील योजना की लागत मूल्य में बाजार मूल्य में बढ़ोतरी नहीं होने से शिक्षक एवं संस्था प्रधानों के समक्ष बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण भोजन उपलब्ध कराना चुनौती बना हुआ है। ऐसे में बच्चों को कहीं रोटी कम तो कहीं दाल सब्जी में पानी ज्यादा मिल रहा है। फल तो लगभग बंद ही हो गए हैं। खाद्य सामग्री के भाव तो आसमान छू रहे हैं। दो वर्ष बाद अक्टूबर 2022 में बढ़ाई गई कुकिंग कन्वर्जन राशि ऊंट के मुंह में जीरा कहावत को चरितार्थ कर रही है। गुणवत्ता पूर्ण भोजन उपलब्ध नहीं करा पाने से शिक्षकों में परेशानी एवं अभिभावकों में नाराजगी बढ़ रही है। विभागीय अधिकारी अपने निरीक्षण एवं एमडीएम की गुणवत्ता परखने पर भी खूब जोर देते हैं लेकिन बच्चों के भोजन के लिए मिलने वाली धन राशि में बढ़ोतरी हो उस पर उच्च अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट नहीं किया जाता है।
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