उदयपुर

उदयपुर में इरफान खान ने ब‍िताया था 1 महीना, रात में न‍िकल पड़़ते थे झीलों और जंगलों को नि‍हारने

पिछले साल अप्रेल में शूटिंग के दौरान इरफान की एक झलक पाने को लोगों की भीड़ लग जाया करती थी। छोटी ब्रह्मपुरी क्षेत्र में फिल्म की शूटिंग हुई थी।

उदयपुरApr 30, 2020 / 03:38 pm

madhulika singh

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उदयपुर. बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकार इरफान खान के निधन की खबर सुनकर लेकसिटी के आंसू भी छलक पड़े। फैंस की आंखों में आंसू थे। उनकी जिंदगी के लिए लोगों ने दुआएं भी खूब की थी। कैंसर से उबरने के बाद जब इरफान खान काम पर लौटे तो सबसे पहले उदयपुर में ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग के लिए पहुंचे थे, जो उनकी अंतिम फिल्म बन गई। पिछले साल अप्रेल में शूटिंग के दौरान इरफान की एक झलक पाने को लोगों की भीड़ लग जाया करती थी। छोटी ब्रह्मपुरी क्षेत्र में फिल्म की शूटिंग हुई थी। इस दौरान उनके फैंस भी उनसे मिलने पहुंच जाते थे, लेकिन बीमारी के कारण वे किसी से नहीं मिले। उदयपुर के लोगों ने सोशल मीडिया पर उनके साथ की तस्वीरें शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
काम के प्रति थे समर्पित, दर्द का अहसास तक नहीं होने देते

अंग्रेजी मीडियम फिल्म में उनका किरदार चंपक एक हलवाई था और उसके घसीटेराम नाम की एक दुकान थी। लगभग 1 महीने तक उदयपुर में इस फिल्म की शूटिंग चली थी। फिल्म प्रोडक्शन से जुड़े संजय सोनी ने उनसे जुड़ी यादों के बारे में बताया कि वे राजस्थान की मिट्टी के कलाकार थे और अपने से ज्यादा दूसरों के लिए सोचते थे। वे अपने काम के प्रति इतने समर्पित थे कि बीमारी के बावजूद वे घंटों फिल्म की शूटिंग करते थे। किसी को अपने दर्द का अहसास तक नहीं होने देते थे। सोनी ने कहा, ऐसे नेक दिल इंसान को खोकर बहुत दुखी हूं। साथ बिताया वक्त बहुत यादगार है। बहुत याद आओगे तुम।
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इंसानियत और अदाकारी की खान थे इरफान
राजस्थान लाइन प्रोड्यूसन मुकेश माधवानी ने बताया कि इरफान खान का इस तरह चले जाना भारतीय सिनेमा जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वे उन कलाकारों में शुमार थे जो न सिर्फ किसी चरित्र का अभिनय करते, बल्कि उसे जीते थे। उन्होंने कहा, मुझे इरफ ान खान के साथ जयपुर और जैसलमेर में रिसर्जेंट राजस्थान के विज्ञापन में बतौर लाइन प्रोड्यूसर काम करने का मौका मिला था। इसके अलावा उनकी अंतिम फिल्म अंग्रेजी मीडियम में केटरिंग का काम संभाला था। इरफान खान एक जिंदा दिल इंसान थे। उनका व्यक्तित्व कई कलाकारों के लिए प्रेरणास्रोत है। वे उन युवाओं के लिए भी मिसााल हैं जो फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं आने के बावजूद अपनी प्रतिभा के दम पर मुकाम हासिल करने में यकीन करते हैं।
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यादों में जिंदा रहेंगे
मीरा एंटरटेनमेंट व प्रोडक्शन से जुड़े देवेंद्र दया ने कहा, मुझे याद है सितंबर, 2015 में राजस्थान सरकार के लिए एक फिल्म कर रहे थे। पूरे राजस्थान में तब पहली बार किसी अभिनेता को इतना नजदीकी से जाना। बिल्कुल ही सरल और सुलझे हुए अभिनेता थे। आज फिल्म इंडस्ट्री ने एक ऐसे अभिनेता को खो दिया है जिसने अपने अभिनय से अपनी पहचान बनाई और ये साबित किया कि एक अभिनेता बनने के लिए गोरा रंग और 6 पैक्स जरूरी नहीं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे वो हमेशा हम सबकी यादों में जिंदा रहेंगे।
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पोट्रेट भेंट करने पर हुए थे भावुक

कलाकार संतोष डाभी ने कहा, इरफान का असामयिक निधन एक अपूरणीय क्षति है वे भारतीय अभिनय कला के वैश्विक प्रतीक थे। मानो अभी कल ही की बात हो वे उदयपुर में ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिग में आए थे। बहुत सौम्य और मिलनसार व्यकतित्व जब मैने उन्हें उनका एक पोट्रेट भेंट किया तो वे भावुक हो गए थे। सजल नेत्रों का वो आभार सदैव मन मे अंकित रहेगा..परमात्मा उन्हें शान्ति प्रदान करे।
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बहुत खुशकिस्मत हूं, ऐसे कलाकार के साथ काम किया

उदयपुर की कलाकार प्रिया मिश्रा ने कहा, फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ में छोटा सा रोल किया था। इस दौरान जब-जब उनसे बात हुई तब लगा नहीं कि हम किसी इतने बड़े कलाकार से बात कर रहे हैं। बहुत ही साधारण जीवनशौली और वे खुद भी उतने ही सादे। उन्होंने अपनी बीमारी अपनी एक्टिंग पर कभी हावी नहीं होने दी। मैं बहुत खुशकिस्मत हूं कि ऐसे वर्सेटाइल एक्टर के साथ काम करने का मौका मिला। मेरे बेटे नेवैद्य ने भी फिल्म में काम किया और उसे भी इरफान खान से मिलने का मौका मिला था।
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सृजन से कभी घबराना मत
बांसुरीवादक चिन्मय गौड़ ने कहा, दुबई के एक कार्यक्रम के दौरान उनसे मिलने का मौका मिला। वे कार्यक्रम के जज थे। इस दौरान इरफान ने उनसे कहा, कभी सृजन करने से घबराना मत। अगर विफल भी हो गए तो उससे भी बहुत कुछ सीखने का मौका मिलेगा। एक दिन आविष्कार कर के तुम कुछ अपना बना लोगे जिससे तुम्हारी पहचान पूरी दुनिया में होगी। मैं बहुत खुश हूं कि आप जैसे लोग भारत के संगीत को संभाल रहे हैं।
राजस्थान लाइन प्रोड्यूसर अनिल मेहता ने बताया कि वे इरफान खान से रिसर्जेंट राजस्थान के दौरान मिले। उनसे मिलकर और बात कर के बहुत अच्छा लगा। वे बहुत सरल स्वभाव और सादगी पसंद थे। वे थियेटर से जुड़े हुए थे और काफी समर्पित थे। समय के बहुत पाबंद थे। इसी तरह कौशल आचार्य ने बताया कि वे अंग्रेजी मीडियम फिल्म के प्रोडक्शन क्रू में थे। वे जमीन से जुड़े हुए इंसान थे। शूटिंग खत्म होने के बाद भी वे अगले 5 दिन उदयपुर में ही रहे और यहां आसपास के गांव व राजस्थानी संस्कृति देखी। रात में वन्य जीवन देखना उन्हें पसंद आता था। उदयपुर से कई प्लांट्स भी मुंबई लेकर गए थे।
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