वार्डों के पुनर्गठन का जिम्मा पहली बार जिला प्रशासन की बजाय नगर निगम को देने से निगम का नगर नियोजन व राजस्व विभाग सक्रिय हो गए हैं। वैसे उपायुक्त व डीटीपी को इस काम को पूरा करना है। ऐसे में जनसंख्या 2011 के आधार पर रोड मेप तैयार किया जा रहा है। शहर के अलग-अलग भाग में ब्लॉक बनाए गए थे। ब्लॉक यह तय करेंगे कि आसपास के क्षेत्र में कौन-कौन से इलाके लगते हैं, जिसे निगम ने आधार बनाया है। निगम की शुरुआती गणित में यह तय किया गया है कि वर्ष 2011 में उदयपुर शहर की 4,51,000 की जनगणना को आधार मानते हुए उस समय बनाए गए ब्लॉक होंगे। ये ब्लॉक 70 वार्डों में विभाजित किए जाएंगे।
हर वार्ड में हो सकते 5000 मतदाता !
विधानसभा चुनाव के आंकड़ों से अगर 55 ही वार्डों के मतदाताओं को बांटते हैं तो नए बनने वाले वार्डों में औसत 5 हजार मतदाता होंगे। उदयपुर शहर के वार्डों में 2,36,471 एवं उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के 14 वार्डों में 1,18,000 अर्थात कुल 3,54,471 मतदाता हो गए हैं। इन मतदाताओं को 70 वार्डों को बांटते हैं तो प्रति वार्ड करीब 5,000 मतदाता का औसत आंकड़ा होगा। वैसे सरकार के निर्देश के अनुसार वार्डों में मतदाता की संख्या कम व ज्यादा होगी, लेकिन यह जरूर तय है कि हर वार्ड का सीमांकन पुनर्गठन होगा।
विधानसभा चुनाव के आंकड़ों से अगर 55 ही वार्डों के मतदाताओं को बांटते हैं तो नए बनने वाले वार्डों में औसत 5 हजार मतदाता होंगे। उदयपुर शहर के वार्डों में 2,36,471 एवं उदयपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के 14 वार्डों में 1,18,000 अर्थात कुल 3,54,471 मतदाता हो गए हैं। इन मतदाताओं को 70 वार्डों को बांटते हैं तो प्रति वार्ड करीब 5,000 मतदाता का औसत आंकड़ा होगा। वैसे सरकार के निर्देश के अनुसार वार्डों में मतदाता की संख्या कम व ज्यादा होगी, लेकिन यह जरूर तय है कि हर वार्ड का सीमांकन पुनर्गठन होगा।
ऐसे होगा नए वार्डों का पुनर्गठन – सभी वार्डों में जनसंख्या का अनुपात समान होगा। यह आंकड़ा दस प्रतिशत अधिक या कम हो सकता है क्योंकि सीमा का उल्लंघन नहीं किया जाएगा।
– वार्डों की सीमा सडक़ या गली के आधार पर निर्धारित की जाएगी। वार्ड का अनुपात बिगड़ता है तो वार्ड रेखा काल्पनिक भी रखी जा सकती है।
– कोई भी क्षेत्र वार्ड से छूट नहीं जाए, इसका पूरा ख्याल रखना होगा।
– वार्ड लम्बे व सडक़नुमा नहीं होंगे।
– एक ही मकान दो वार्ड में विभाजित नहीं हो।
– दो विधानसभा क्षेत्रों के बाउण्ड्री का एक वार्ड नहीं बनाया जाए।
– पूरा वार्ड एक ही थाने की सीमा में रहे, एक वार्ड अलग-अलग सीमा में विभाजित नहीं होना चाहिए।
– चार जुलाई तक बनाने हैं 70 वार्ड
– नगर निगम को 4 जुलाई तक बनाना है 70 वार्ड का प्रस्ताव
– प्रस्ताव पर 15 जुलाई तक मांगी जाएगी आपत्तियां प्रस्ताव, नक्शे व आपत्तियों को टिप्पणी सहित 22 जुलाई तक सरकार को भेजना है।
– सरकार 6 अगस्त तक प्रस्तावों का अनुमोदन करेगी।
– सरकार 19 अगस्त तक राजपत्र में अंतिम प्रकाशन करेगी।
अभी वार्ड पुनर्गठन 2011 की जनगणना से हो रहे हैं। ऐसे में शहर का जो विस्तार हुआ है, वह इसमें शामिल नहीं किया है। आसपास की पंचायतों को शामिल करने के लिए सीमा वृद्धि का भी प्रावधान रखना चाहिए था। भाजपा व कांग्रेस को राजनीतिक फायदे से ऊपर उठकर शहर के फायदे की सोचनी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो शहरी क्षेत्र में जो ग्राम पंचायतें हैं, वे निगम का हिस्सा हो जाएगी और उनका विकास हो पाता। निगम का राजस्व भी बढ़ेगा। – लालकुमार चुघ (चुनावी आंकड़ों के जानकार)