इधर काली छतरी में प्रभु दाऊदयाल सावन-भादौ में बिराजे। खस के टेरे भी लगाने के साथ ही आसपास के परिसर को सुंदर सजाया गया। फव्वारों के बीच प्रभु की शृंगार प्रतिमा को देख भक्त मंत्रमुग्ध हो गए। दर्शनों का क्रम डेढ़ से दो घंटे तक चला। मंदिर अधिकारी कैलाशचंद्र पुरोहित ने बताया कि इस अवसर पर प्रभु को महाप्रसाद का भोग लगाया गया। इस दौरान सैंकड़ों वैष्णवजनों ने प्रभु के दर्शन किए और जयकारे लगाए।