हम पहले उस बच्चे को अपनाएंगें, जिसे मां-बाप व प्यार-दुलार की सख्त जरुरत है और वह बच्चा हमारे अपने वतन भारत का होगा। कुछ इसी सोच के साथ स्वीडन में रहने वाली एक एनआरआई दम्पती केन्द्रीय दत्तक ग्रहण में आवेदन के बाद उदयपुर पहुंचे। उन्होंने विशेष देखरेख वाले एेसे बच्चे को अपनाया, जिसे भारत में किसी ने नहीं अपनाया। इस दम्पती ने यहां राजकीय शिशुगृह में बच्चे के साथ समय बिताते हुए आया से उसकी खान-पान आदि की जानकारियां ली। आवश्यक कार्रवाई के बाद यह दम्पती मंगलवार को बच्चे को अपने साथ स्वीडन ले जाएगा। मूलत: भारत हाल स्वीडन के दम्पती ने इस बच्चे को केन्द्रीय दत्तक ग्रहण में आवेदन कर प्राप्त किया। सोमवार को दम्पती के यहां पहुंचने पर बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशका मीना शर्मा, सीडब्ल्यूसी सदस्य शिल्पा पामेचा आदि ने कानूनी कार्रवाई कर बच्चे को नए मां-बाप के सुपुर्द किया, उन्होंने कुछ समय बच्चे के साथ बिताया। स्वीडन जाने वाला यह मासूम एक साल पहले एमबी चिकित्सालय के पालने मंे आया था। कुछ दिनों बाद ही मेडिकल जांच में उसे सुनाई नहीं देने का पता चला। राजकीय शिशु गृह में विशेष देखरेख में पल बढ़ रहे अन्य बच्चों के साथ उसे भी रखा गया। वर्तमान में शिशुगृह में उसे दवाइयां दी जा रही थी।
—
हमारे वतन का ही होगा बच्चा
एनआरआई दम्पती स्वीडन में पेशे से आईटी सेक्टर में है। उनके कोई बच्चा नहीं है। दम्पती ने बताया कि उन्होंने पहले से ही सोच रखा था कि वे अपने वतन के ऐसे बच्चे को लेंगे जिसे विशेष देखरेख की आवश्यकता हो। उनकी नजर में बच्चा-बच्ची में कोई फर्क नहीं है, कोई भी मिलेगा तो वह उसकी देखरेख कर उसे पालेंगे।
—
कारा से ली सारी जानकारी
केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी कारा ने बच्चे के विवरण के साथ ही उसकी मेडिकल स्थिति को ऑनलाइन डाला। स्वीडन के दम्पत्ती ने वहां की दत्तक ग्रहण संस्था के माध्यम से भारत में आवेदन करते हुए स्पष्ट लिखा कि उन्हें विशेष श्रेणी का बच्चा ही चाहिए ताकि वे उसका संरक्षण कर सकें। कारा में आवेदन से इस दम्पती की यह आस पूरी हुई। उदयपुर आने से पहले उन्होंने बच्चे की समस्त मेडिकल रिपोर्ट वहां पर वरिष्ठ चिकित्सकों को दिखाकर पूरी सलाह ली। अब दम्पती वहां बच्चे का इलाज करवा उसकी देखरेख करेगा।
—
हमारे वतन का ही होगा बच्चा
एनआरआई दम्पती स्वीडन में पेशे से आईटी सेक्टर में है। उनके कोई बच्चा नहीं है। दम्पती ने बताया कि उन्होंने पहले से ही सोच रखा था कि वे अपने वतन के ऐसे बच्चे को लेंगे जिसे विशेष देखरेख की आवश्यकता हो। उनकी नजर में बच्चा-बच्ची में कोई फर्क नहीं है, कोई भी मिलेगा तो वह उसकी देखरेख कर उसे पालेंगे।
—
कारा से ली सारी जानकारी
केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी कारा ने बच्चे के विवरण के साथ ही उसकी मेडिकल स्थिति को ऑनलाइन डाला। स्वीडन के दम्पत्ती ने वहां की दत्तक ग्रहण संस्था के माध्यम से भारत में आवेदन करते हुए स्पष्ट लिखा कि उन्हें विशेष श्रेणी का बच्चा ही चाहिए ताकि वे उसका संरक्षण कर सकें। कारा में आवेदन से इस दम्पती की यह आस पूरी हुई। उदयपुर आने से पहले उन्होंने बच्चे की समस्त मेडिकल रिपोर्ट वहां पर वरिष्ठ चिकित्सकों को दिखाकर पूरी सलाह ली। अब दम्पती वहां बच्चे का इलाज करवा उसकी देखरेख करेगा।