एक विधायक ऐसे भी जिन्होंने अपने ही पार्टी के नगर निगम बोर्ड की विधानसभा में बजा दी बैंड
उदयपुरPublished: Mar 18, 2023 10:28:33 pm
एक विधायक ऐसे भी जिन्होंने अपने ही पार्टी के नगर निगम बोर्ड की विधानसभा में बजा दी बैंड


मोहम्मद इलियास
उदयपुर. राजस्थान विधानसभा में बुधवार को उस समय सत्ता पक्ष के विधायकों के कान खड़े हो गए जब मावली से भाजपा विधायक धर्मनारायण जोशी ने उदयपुर शहर में सुबह-शाम कचरा संग्रहण के कार्य को गोरखधंधा बताते हुए अपनी ही पार्टी के नगर निगम बोर्ड पर प्रश्न चिह्न लगा दिया। जोशी यहीं नहीं रुके उन्होंने निगम के कामों से जुड़े मसले, जिनमें पिछोला में सीवरेज लाइन, गुलाबबाग की कमलतलाई, आयड़ नदी सौंदर्यीकरण के साथ-साथ भूखंड घोटाला, फर्जी बिलों के भुगतान जैसे मुद्दे उठाते हुए नगर निगम की कार्यशैली पर निशाना साधा। निगम बोर्ड को कोसते हुए कई मामलों में जांच कर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की।
गोरतलब है कि जोशी ने निगम से जुड़े जो भी मुद्दे उठाए उन्हें राजस्थान पत्रिका ने समय-समय पर प्रमुखता से प्रकाशित किया है। सीधे जनता से जुड़े इन मुद्दों को शहरवासियों ने भी खूब सराहा था। कुछ मामलों में कार्रवाइयां भी हुई, कुछ में अब भी जांच के नाम पर फाइलें पेंडिंग पड़ी है। राजनीतिक हल्कों में जोशी की विधानसभा में इस बेबाकी को अलग नजर से देखा जा रहा है।
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कचरा संग्रहण, सीवरेज, भूखंड व फर्जी बिलों की हो जांच
- उदयपुर शहर में कचरा संग्रहण के नाम पर नया गोरखधंधा चालू कर दिया है। नियमों में परिवर्तन कर इसे लागू किया गया है। वर्तमान में कचरा संग्रहण का यह काम सुबह व शाम को अलग किया, इसमें भ्रष्टाचार है, जिसकी जांच करवाई जाए।
- एक ठेकेदार ने फर्जी तरीके से डम्पर के किराए के पैसे उठाए। डम्पर के उन नम्बरों की जांच हुई तो वह मोटरसाइकिल के निकले। फर्जी तरीके से भुगतान उठने के बावजूद अब तक ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस संबंध में विधानसभा में प्रश्न भी पूछा था, लेकिन निगम की ओर से अब तक जवाब नहीं आया।
- उदयपुर में कई कॉलोनियों यूआइटी ने निगम को हस्तांतरित की थी, उन कॉलोनियों में कई खाली भूखंड थे। आधे से ज्यादा भूखंडों का पता हीं नहीं है। उनके फर्जी पट्टे बनाकर एक-एक दो-दो करोड़ में भूमि दलालों को बेच दिए गए। ऐसे भूखंड करीब 272 है, जिनकी जांच करवाई जाए।
-गुलाबबाग में ठेकेदार ने डस्टबीन व झूलों का लाखों रुपए का निगम से भुगतन उठाया, लेकिन मौके पर झूले व डस्टबीन लगाए ही नहीं गए।
-गुलाबबाग में ही नगर निगम में कमलतलाई को पक्का निर्माण कर पूरी तरह से बिगाड़ दिया। इस पर अनावश्यक रूप से 1.50 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यह तलाई पूर्व में 12 माह भरी रहती थी, अभी वहां पर पानी सड रहा है। इसे वापस से दुरुस्त करवाकर मूल स्वरूप लौटाया जाए।
- यूआइटी ने मास्टर प्लान जारी कर उदयपुर के मुख्य बापूबाजार और हरिदासजी की मगरी को औद्योगिक क्षेत्र घोषित कर दिया, हाइकोर्ट ने इस पर फटकार लगाई।
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झील विकास प्राधिकरण का कार्यालय फिर हो उदयपुर में
- उच्च न्यायालय के आदेश से राज्य सरकार ने वर्ष 2015 में राजस्थान झील विकास प्राधिकरण का गठन किया था। इसके अंतर्गत जिला स्तरीय समिति बनाई, लेकिन लेकिन वह वर्तमान में काम नहीं कर रही है। राज्य जिला विकास प्राधिकरण का न तो पूर्णकालिक कोई अधिकारी है और न ही ऑनलाइन इसकी जानकारी है। झील विकास प्राधिकरण के इस कार्यालय को वापस उदयपुर में शिफ्ट किया जाए।
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सीवर पर पहले करोड़ों खर्च, फिर दिया ठेका
पिछोला झील में पूर्व में सीवर लाइन डालकर करोड़ों रुपए खर्च किए गए। स्मार्ट सिटी की ओर से 11 करोड़ खर्च कर नया ठेका दिया गया। पुरानी लाइन हटाकर नई लाइन डाली जा रही है, इस काम की भी पूरी जांच करवाई जाए।
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पिछोला को कर दिया छोटा, तालाबों को बचाया जाए
उदयपुर की पिछोला झील तत्कालीन महाराणा के समय 884 बीघा थी, अब 840 बीघा रह गई। इसी तरह से उदयपुर में 42 तालब है, इनमें 22 तालाब निजी व बाकी यूआइटी के पास है, इन्हें संरक्षित किया जाए।