उदयपुरPublished: Oct 15, 2023 01:56:47 pm
Kirti Verma
जब मेवाड़ की भूमि की बात होती है तो यहां का इतिहास, धार्मिक स्थल, प्राकृतिक धरोहरें, सांस्कृतिक विरासतें इसे सबसे श्रेष्ठ बनाती हैं। यहां की 4000 हजार वर्ष पुरानी आयड़ नदी, जहां आहाड़ सभ्यता ने जन्म लिया वो किसी अमूल्य संपदा से कम नहीं।
उदयपुर . जब मेवाड़ की भूमि की बात होती है तो यहां का इतिहास, धार्मिक स्थल, प्राकृतिक धरोहरें, सांस्कृतिक विरासतें इसे सबसे श्रेष्ठ बनाती हैं। यहां की 4000 हजार वर्ष पुरानी आयड़ नदी, जहां आहाड़ सभ्यता ने जन्म लिया वो किसी अमूल्य संपदा से कम नहीं। ऐतिहासिक सास-बहू मंदिर, जगत मंदिर, एकलिंगजी मंदिर धार्मिक विरासतें हैं तो गणगौर, गवरी की सांस्कृतिक विरासतें यहां की पहचान हैं। हाल ही उदयपुर की कोफ्तगिरी कला और नाथद्वारा की पिछवई कला को जीआई टैग मिला है, जिससे अब इन कलाओं को और फायदा मिलेगा। इसी तरह वर्ष 2021 में बंगाल की दुर्गा पूजा को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में यूनेस्को सूची में शामिल किया गया तो मेवाड़ के गणगौर उत्सव को भी ये दर्जा मिलना चाहिए। धरोहरों से पूरी मेवाड़ की धरती समृद्ध है, ऐसे में कई स्थलों, मंदिरों और यहां की बरसों पुरानी परंपराओं को यूनेस्को सूची में शामिल किया जाना चाहिए।