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उदयपुर की तंग गलियों में खतरा ही खतरा, आग लग जाए तो नहीं पहुंच सकती दमकल

locationउदयपुरPublished: Dec 11, 2019 09:26:35 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

दिल्ली, सूरत की घटना के बाद भी नहीं चेता उदयपुर

उदयपुर की तंग गलियों में खतरा ही खतरा, आग लग जाए तो नहीं पहुंच सकती दमकल

उदयपुर की तंग गलियों में खतरा ही खतरा, आग लग जाए तो नहीं पहुंच सकती दमकल

उदयपुर. दिल्ली स्थित अनाज मंडी हो या सूरत के कोचिंग सेंटर में आग की घटना। उसी परिप्रेक्ष्य में उदयपुर शहर की तंग गलियों की बात करें तो यहां भी आग पर नियंत्रण के लिए कोई पुख्ता प्रबंध फायर स्टेशन के पास नहीं है। नगर निगम भी पहले से ही चिंतित था कि तंग गलियों में आग पर नियंत्रण के लिए कोई प्रबंधन किया जाए लेकिन अभी तक उस पर कोई रास्ता नहीं निकाला गया है।
रविवार को दिल्ली स्थित अनाज मंडी में आग की घटना की तस्वीरें देखने के बाद चिंता बढ़ गई है। भगवान न करें कि उदयपुर में भी ऐसा कुछ हो, लेकिन अगर ऐसा हो जाए तो यहां भी आग बुझाने को लेकर कोई पुख्ता प्रबंध तंग गलियों के लिए नहीं है। भीतरी शहर के अंदर घंटाघर, गणेशघाटी, भंडारियों की घाटी, नानी गली, भदेसर का चौक, कसारों की ओल, वारियों की घाटी, खेमण घाटी, सुथारों की घाटी, रावजी का हाटा, सोलंकियों की घाटी, घाणेराव की घाटी, कोलपोल, जडिय़ों की ओल, जाटवाड़ी अंदर की तरफ, दशोरा की गली, मालदास स्ट्रीट, बोहरवाड़ी, मंडी की नाल, सिंधी बाजार के आसपास की तंग गलियों जैसे इलाकों में दमकल नहीं जा सकती है।

नगर निगम ने 550 को नोटिस दिए

सूरत की घटना के बाद नगर निगम ने आंखें खोली थी। अग्निशमन अधिकारी ने पहले चरण में 300 और दूसरे चरण में 250 जनों को नोटिस दिए।
ये घटनाएं खोलती है पोल
– केस : 1

– स्थान : हेलावाड़ी
– घटनाक्रम : दो साल पहले रमजान माह में एक मकान में रखे कपड़ों में आग लग गई, किसी भी तरह का रोशनदान नहीं था, कार्बन मॉनो-ऑक्साइड गैस से घुटन हुई और बाप-बेटी की मौत हो गई। जब सूचना मिली तब दमकल तो रवाना हुई लेकिन घटना स्थल पर नहीं पहुंच सकी।
– केस : 2

– स्थान : दुर्गानर्सरी रोड
– घटनाक्रम : कुछ महीनों पूर्व पर एक कपड़ों के शोरूम में आग लग गई। जिसे बुझाने फायर स्टेशन से दमकल तो पहुंच गई लेकिन आग बुझाने के दौरान जगह-जगह फूटे पानी के पाइप ने पोल खोल कर रख दी।
– केस : 3

– स्थान : सूरजपोल
– घटनाक्रम : दीपावली पर अस्थल मंदिर के सामने एक गोदाम में भीषण आग लगी। चार मंजिला इस गोदाम में करोड़ों का नुकसान हुआ। वहां सीढिय़ों तक सामान भरा था, गनीमत रही कि वहां कोई नहीं था। दमकल ने आग पर काबू तो पाया लेकिन ऊपरी माला तक दमकल आग नहीं बुझा सकी।

अभी ये हैं हमारे अग्निशमन के इंतजाम

– 14 फायर ब्रिगेड हमारे फायर स्टेशन के बेड़े में
– 2 से 14 हजार लीटर पानी फायर करने की क्षमता

– 1 मोटरसाइकिल तंग गलियों के लिए है
-1 एरियल हाइड्रोलिक लैडर का अभी इंतजार है
– 50 होमगार्ड बेड़े में
– 20 अग्निशमन के कर्मचारी

– 42 चालक स्थायी-अस्थायी

बड़े भवनों में जरूरी

अग्नि सुरक्षा अधिनियम 1987 के तहत प्रत्येक भवन के लिए 12 सुरक्षा मानक तय हैं। प्रवेश के साधन, भूमिगत व जल टंकियां, स्वचालित छिडक़ाव प्रणाली, चर्खी से लिपटा जल पाइप, अधिकृत अग्निशमक यंत्र, अग्नि अलर्ट अलार्म सिस्टम, सार्वजनिक संबोधन व्यवस्था, निकासी मार्ग के संकेतक, विद्युतापूर्ति के वैकल्पिक स्रोत, वैट राइजर डाउन कॉमर सिस्टम, फायरमैन स्विच सहित निकास मार्ग आदि सुविधा जरूरी है।

नगर निगम का तर्क
निगम का कहना है कि फायर स्टेशन से जब होटल, बहुमंजिला इमारत, हॉस्पिटल, कोचिंग सेंटर आदि को नोटिस दिए तो उसके बाद कई ने फायर सिस्टम लगाए और एनओसी भी ली। तंग गलियों के लिए भी विकल्प पर चर्चा चल रही है। शहर में नगर निगम, गुलाबबाग सहित अलग-अलग जगह पर हाईडेंट की सुविधा का उपयोग किया जाता है।
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