चापरिया मगरी और कोपराफला में सरकारी जमीन पर कब्जों को लेकर राजस्थान पत्रिका ने ‘यूआईटी की जमीन का अवैध बेचानÓ शीर्षक से खबर प्रकाशित की। इसी को लेकर अवैध रूप से जमीनें बेचने वालों में हड़कम्प मच गया, वहीं मौके पर चल रहे निर्माण कार्य तुरंत बंद कर दिए गए। मामला उजागर होने पर यूआईटी टीम और प्रतापनगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मौका स्थिति देखी। इधर, यूआईटी सचिव ने संबंधित पटवारी, इंस्पेक्टर से पूरी रिपोर्ट मांगी है।
आबादी भूमि की आड़ में खेल
चापरिया मगरी और कोपराफला की कुल 116 बीघा जमीन सरकारी रिकोर्ड में चरनोट भूमि है, जो यूआईटी को हस्तांतरित हुई थी। इसके पास ही मटून खाद्यान भंडार के पास महज दो बीघा जमीन आबादी श्रेणी की भूमि है। इसी की आड़ में लम्बी चौड़ी सरकारी जमीन का लगातार बेचान करते हुए कब्जे किए जा रहे हैं।
स्टाम्प पर हो रहा सौदा
चापरिया मगरी और कोपराफला की कुल 116 बीघा जमीन सरकारी रिकोर्ड में चरनोट भूमि है, जो यूआईटी को हस्तांतरित हुई थी। इसके पास ही मटून खाद्यान भंडार के पास महज दो बीघा जमीन आबादी श्रेणी की भूमि है। इसी की आड़ में लम्बी चौड़ी सरकारी जमीन का लगातार बेचान करते हुए कब्जे किए जा रहे हैं।
स्टाम्प पर हो रहा सौदा
यूआईटी की जमीन पर कतिपय लोगों की ओर से कब्जे किए जा रहे हैं। कब्जों को ओने-पोने दामों में बेचा जा रहा है। सस्ती दरों में भूखंड मिलने के लालच में लोग भूमाफियाओं के चुंगल में फंस रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच सौदा महज स्टाम्प पर हो रहा है, जबकि जमीन सरकारी होने के कारण नियमानुसार बेचान नहीं किया जा सकता।
यूआईटी से पनाह की आशंका
सरकारी जमीन संरक्षण को लेकर लोगों ने पहले भी कई बार शिकायतें की, लेकिन कार्रवाई के बजाय शिकायतकर्ता के विरुद्ध मोर्चा खुल जाता है। ऐसे में लोगों ने शिकायत करना ही छोड़ दिया। बताते हैं कि यूआईटी में पहले भी भूमाफियाओं के नाम बताते हुए शिकायतें की, लेकिन अगले ही दिन कतिपय लोगों के पास शिकायतकर्ताओं के नाम पहुंच गए, जिससे आपसी झगड़े के हालात बन गए। ऐसे में लोगों ने शिकायत करना ही छोड़ दिया। लोगों का मानना है कि यूआईटी से ही शिकायतकर्ता के नाम उजागर करके भूमाफियाओं को पनाह दी जा रही है।
सरकारी जमीन संरक्षण को लेकर लोगों ने पहले भी कई बार शिकायतें की, लेकिन कार्रवाई के बजाय शिकायतकर्ता के विरुद्ध मोर्चा खुल जाता है। ऐसे में लोगों ने शिकायत करना ही छोड़ दिया। बताते हैं कि यूआईटी में पहले भी भूमाफियाओं के नाम बताते हुए शिकायतें की, लेकिन अगले ही दिन कतिपय लोगों के पास शिकायतकर्ताओं के नाम पहुंच गए, जिससे आपसी झगड़े के हालात बन गए। ऐसे में लोगों ने शिकायत करना ही छोड़ दिया। लोगों का मानना है कि यूआईटी से ही शिकायतकर्ता के नाम उजागर करके भूमाफियाओं को पनाह दी जा रही है।