READ MORE : REPUBLIC DAY SPECIAL: राणा की माटी ने वक्त पर देश को कुर्बान किए अपने जिगर के टुकड़े क्या है अनोखा इसमें असीम बताते हैं ‘अक्सर उपजाऊ मिट्टी खोदकर ईंटें बनाते और उन्हें पकाने के लिए भट्टों से निकलने वाले धुएं को देखकर बचपन में कई बार पीड़ा होती थी। अपनी शिक्षा के दौरान इससे निजात पाने के उपायों पर भी बहुत बार मित्रों से चर्चाएं कीं। दरअसल, उसी विचार को अमली जामा पहनाकर हम दोनों बेहद खुश हैं। इसलिए नहीं कि प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया मुहिम से जुड़ गए बल्कि इसलिए भी कि इस प्रोजेक्ट के कारण हम अपने शहर अपनों के बीच आकर इस शहर और आसपास की उपजाऊ धरा को खोदे जाने के अलावा पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने में भी अपना योगदान दे पाए हैं। इतना ही नहीं, इन ईंटों का निर्माण पावर प्लांट से वेस्ट के रूप में बचने वाली उस राख को रिसाइकल कर इस्तेमाल किया जा रहा है, जिसे निस्तारित करना सरकार के लिए भी बहुत जटिल काम साबित हो रहा था।’