बात अगर लेकसिटी की हो तो यहां पिछले कुछ सालों में मोर्निंग वॉक, योग, साइकिलिंग आदि को लेकर लोगो में बहुत जागरूकता आई है। लेकसिटी के बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा और बच्चे भी खान-पान को लेकर सजग दिखाई देते हैं। ऐसा ही खुशनुमा नजारा देखने को मिला सुखाडिय़ा समाधि पार्क , सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय रोड, गुलाबबाग, फतहसागर और 100 फ ीट व 80 फ ीट की सडक़ों पर।
पार्क में ही बैठी महिलाओं के एक समूह ने बताया कि हम सभी पिछले 10 सालों से यहां आकर योग कर रहे हैं। हैडफ ोन लगाये वॉक कर रही शीतल अग्रवाल ने बताया कि मैं कई सालों से सुबह यहां आ रही हूं । यहां आकर बहुत सुकून मिलता है। पार्क में बैडमिंटन खेलने आये स्वयं और आंशिक बताते हैं कि अभी-अभी हमारी वेकेशन शुरू हुई है।
पार्क के बाहर ज्यूस ठेला लगा रहे केशूलाल गुर्जर ने बताया कि यहां नित्य 400 से 500 लोग सुबह 4 बजे से 9 बजे तक घूमने आते हैं। फतहसागर पर अनुज ने बताया की मैं पांच सालों से यहां वॉक और साइकिलिंग करने आता हूं। बेटी खुशी के साथ वॉक कर रही मां मोना सोनी ने बताया कि हम रोज वॉक और योग करते हैं । गुलाब बाग में वॉक के लिए आए बुजुर्गों के एक समूह ने बताया कि यहां आकर हम लोग लाफ्टर थैरेपी और घास पर नंगे पांव वॉक करते हैं।
डॉ. महेश दवे ने बताया कि हैडफोन के अधिक इस्तेमाल से बहरापन, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द एवं कान के पर्दे फटने का खतरा अधिक रहता है। यदि लोगों का मानना है कि वॉक करते समय म्यूजिक सुनने से स्पीड मेन्टेन रहती है तो हैडफोन की कम अवाज रख म्यूजिक सुनें।
मॉर्निंग वॉक का बढ़ा क्रेज
पत्रिका टीम सुबह पांच बजे सुखाडिय़ा समाधि स्थल पर बने पार्क में पहुंची तो वहां का नजारा मन को सुकून देने वाला था। लेकसिटी के बाशिंदे मोर्निंग वॉक, आउटडोर गेम्स और योग के साथ अपने दिन की सुनहरी शुरुआत कर रहे थे।
पत्रिका टीम सुबह पांच बजे सुखाडिय़ा समाधि स्थल पर बने पार्क में पहुंची तो वहां का नजारा मन को सुकून देने वाला था। लेकसिटी के बाशिंदे मोर्निंग वॉक, आउटडोर गेम्स और योग के साथ अपने दिन की सुनहरी शुरुआत कर रहे थे।