कारण कि महापुरुष ने किसी को ऐसा करने की इजाजत नहीं दी। मुनि कमलेश ने कहा कि महापुरुष का अपमान होता ही नहीं है। वह तो सूर्य के समान है। धूल फेंकने से सूर्य का कुछ नहीं बिगड़ता। बल्कि फेंकने वाले पर धूल लौट कर आती है। महापुरुषों के नाम पर कट्टरता अपनाने वाला उनके सिद्धांतों की हत्या करने का पाप कमा रहा है। ऐसे व्यक्ति धर्म और मानवता के शत्रु हैं। राम और रहीम को कोई खतरा नहीं है, जब जब स्वार्थी तत्वों की दुकान पर खतरे के बादल मंडराते हैं। तब भोली भाली जनता को गुमराह करके षडयंत्र रचते हुए खून की होली खेलने में शर्म महसूस नहीं करते। महापुरुषों के सिद्धांतों को आत्मसात करना उनका सच्चा उपासक कहलाने का अधिकारी है। इससे पहले कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया। घनश्याम मुनि ने विचार व्यक्त किए। संघ अध्यक्ष ऊंकारलाल सिरोया ने बताया कि राष्ट्रसंत का मंगल प्रवेश 14 जुलाई की सुबह 8.30 बजे तारक गुरु ग्रंथालय से विश्व शांति पदयात्रा के रूप में प्रारंभ होकर पंचायती नोहरा सिंधी बाजार में होगा। स्कूटर के माध्यम से अहिंसा रैली निकाली जाएगी।