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वत्स द्वादशी : मांं ने अपने लाड़लों को लगाया तिलक, की गाय व बछड़ों की पूजा

locationउदयपुरPublished: Aug 19, 2017 02:25:00 pm

शहर में शनिवार को बच्छ बारस का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया।

bachh baaras
उदयपुर. शहर में वत्स द्वादशी पर्व शनिवार को धूमधाम से मनाया गया। इसके तहत महिलाओं ने गाय व बछड़ों की पूजा की और अपने पुत्राेेंं केे तिलक लगा कर लंबी आयु की कामना की।

बच्‍छ बारस केे अवसर पर महिलाओं ने पूजा की थाली में गाय के लिए वस्त्र का कपड़ा, मेहंदी, कुमकुम, रोली, दही के साथ जगह -जगह गाय बछड़े की पूजा की एवं पूजा कर गाय व बछड़ों को चावल, दही खिलाया। साथ ही अपने लाड़लों के मंगल के लिये उनके भाल पर कुमकुम का तिलक कर आशीर्वाद प्रदान किया। नगर में कई माताओेें ने अपने पुत्रों को श्रीफल (नारियल का गोला) भी साथ में प्रदान किया। इस अवसर पर शनिवार को माताएं एवं परिवार के कई सदस्य अपने घर में चाकू से कटी हुई सामग्री का खाने में उपयोग नहीं करते हैं। इसके साथ गेहूं का आटा आदि उपयोग में नही लिया गया जिससे मकई की रोटी, भूने हुए चने, मूंग मोट आदि के साथ साथ कढ़ी आदि भी बनाए गए । महिलाओं नेे मंं‍दिर जाकर पूूूजा-अर्चना भी की और परिवार की खुुुुशहाली की कामना की। माताओं ने विशेष परिधान आदि पहन विभिन्न स्थानों पर गाय बछड़े की पूजा करते हुए कुमकुम मौली वस्त्र पहना गोमाता के मेहंदी भी लगाई व परिक्रमा करने के बाद कहानी भी कही व मंगल गीत का गान भी किया ।
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इसलिए की जाती है ये पूजा

गोवत्स द्वादशी के दिन महिलाएं अपने बेटे की सलामती, लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए यह पर्व मनाती है। इस दिन घरों में विशेष कर बाजरे की रोटी‍ जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है। इस दिन गाय की दूध की जगह भैंस या बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है। 
 
हमारे शास्त्रों में इसका माहात्म्य बताते हुए कहा गया है कि बछ बारस के दिन जिस घर की महिलाएं गौमाता का पूजन-अर्चन करती हैं। उसे रोटी और हरा चारा खिलाकर उसे तृप्त करती है, उस घर में मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है और उस परिवार में कभी भ‍ी अकाल मृत्यु नहीं होती है।
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