उदयपुर

उदयपुर के वेटेेेेरनरी कॉलेज के एसोस‍िएट प्रोफेसर को आरटीआई से सूचना मांगना यूं पड़ी भारी.. जानिए पूरा मामला

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वैटेनरी एंड एनिमल साइंसेज, बीकानेर का मामला, एसोसिएट प्रोफेसर को अकादमिक परिषद से किया बाहर

उदयपुरApr 10, 2018 / 02:36 pm

madhulika singh

डॉ सुशीलस‍िंह चौहान/ उदयपुर . नियमों से परे जाकर सहायक प्राचार्य की पदोन्नति को लेकर सूचना का अधिकार कानून के तहत बीकानेर की राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ वैटेनरी एंड एनिमल साइंसेज से जानकारी मांगना एसोसिएट प्रोफेसर के गले की घंटी बन गया है। विश्वविद्यालय ने आपत्ति दर्ज करने वाले नवानिया (उदयपुर) स्थित पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर को विवि की अकादमिक काउंसिल से बाहर निकालने के आदेश जारी कर दिया। यूनिवर्सिटी ने 16 सितम्बर 2016 को जारी आदेश के तहत विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वलवंत मेशराम को विवि की अकादमिक काउंसिल में तीन साल के लिए सदस्य नियुक्त किया था। इससे पूर्व विवि ने पीएचडी की एडवाइजरी का निर्णय बदलते हुए संबंधित एसो. प्रोफेसर को हटाकर शोधार्थी के लिए बीकानेर से दूसरा गाइड नियुक्त किया था।

राजनीति की आशंका
एसोसिएट प्रोफेसर बलवंत मेशराम की मानें तो उन्हें संबंधित पदोन्नति के बारे में कोई जानकारी नहीं है। विवि स्तर पर राजनीति होती रहती है। चूंकि वर्तमान में रजिस्ट्रार का दायित्व प्रोफेसर के पास है। इसलिए दुर्भावनावश उन्हें काउंसिल की सदस्यता से बाहर किया गया है। अब अकादमिक काउंसिल में स्थानीय डीन के अलावा कोई प्रोफेसर शामिल
नहीं है।
 

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यह है मामला
गौरतलब है कि 16 दिसम्बर को एक आदेश जारी कर विवि ने बीकानेर स्थित सीवीएएस में सेवारत सहायक प्राचार्य को 7000 हजार पे स्केल का फायदा देते हुए पदोन्नत किया। पदोन्नति को नियम से परे मानते हुए विश्वविद्यालय से सूचना मांगी। एसोसिएट प्रोफेसर ने पूछा कि संबंधित वेतन शृंखला पर पदोन्नति किन नियमों के तहत दी गई है। चूंकि यह फैसला अकादमिक काउंसिल की बैठक करती है, जबकि इस मामले में लेकर बैठक हुई ही नहीं। जवाब में विवि ने 19 जनवरी को एसोसिएट प्रोफेसर को बताया कि सदस्य के तौर पर अकादमिक परिषद की 10वीं बैठक 4 फरवरी 2017 व 11वीं बैठक 19 जून 2017 को हुई थी। बैठकों में आवेदक खुद भी उपस्थित रहा है। आवेदक के उस कथन को विवि ने झूठलाने की कोशिश की कि उन्हें बैठक में आमंत्रित नहीं किया जाता है।

नियम से कार्रवाई
पूरी प्रक्रिया कायदे से हुई है। कुलपति स्तर पर सहमति से काउंसिल सदस्यों को हटाने और जोडऩे का काम हुआ है। दुर्भावनावश कार्रवाई का कोई आरोप लगाता है तो यह बेबुनियादी बातें हैं।
हेमंत दाधीच, रजिस्ट्रार, बीकानेर पशु विश्वविद्यालय
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