इनका कहना है.. पत्रिका में लगी खबर के कारण दूसरे दिन कार्यक्रम में खासतौर पर युवाओं की भागीदारी से इस तरह के आयोजन के प्रति नई आशा को बल मिला है। लेकसिटीजन्स बहुत लकी हैं कि उन्हें इतने बड़े कैनवास पर मंचित नाटकों का वीडियो अंकन देखने को मिला।
– विलास जानवे, वरिष्ठ रंगकर्मी व्यक्तिगत तौर पर तुगलक मुझे सम्मोहित करता है इसलिए नहीं कि वह अतीत के चुक जाने का आख्यान है। बल्कि इसलिए भी कि वह अतीत के वर्तमान को समकालीनता की शक्ल सूरत से झकझोरता भी है। यह नाटक अपने युग पुराने अन्तद्र्वन्द्वों और दुविधाओं से रूबरू कराता प्रतीत होता है।
– भानु भारती, नाट्य निर्देशक