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video : इस नाटक का उदयपुर में कुछ अलग अंदाज में हुआ मंचन, खूब मिली दर्शकों की सराहना

locationउदयपुरPublished: May 06, 2019 04:54:39 pm

Submitted by:

madhulika singh

कालजयी नाटक ‘तुगलक’ का वीडियो अंकन

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video : इस नाटक का उदयपुर में कुछ अलग अंदाज में हुआ मंचन, खूब मिली दर्शकों की सराहना

राकेश शर्मा राजदीप / उदयपुर . पीएन चोयल मेमोरियल ट्रस्ट सहित सुविवि दृश्यकला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय नाट्य शृृंखला के तहत कालजयी नाटक ‘तुगलक’ के वीडियो अंकन को देखने बड़ी संख्या में नाट्यप्रेमी और सुधि दर्शक पहुंचे। जिन्होंने दो घंटे से अधिक समयावधि वाले इस नाटक को पूरे मनोयोग से देखा और सराहा भी। गौरतलब है कि वर्ष 2011-12 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर देश के ख्यात रंग निर्देशक भानु भारती के दिशा निर्देशन में जिन दो मॉडर्न थिएटर क्लासिक का मंचन हुआ। उन्हीं में से दूसरे नाटक तुगलक के वीडियो मंचन की प्रस्तुति मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय अतिथि गृह सभागार में हुई। इस नाटक का कथानक इतिहास के उस मंजर का स्मरण दिलाता है जहां आदर्शों के पथ पर चलकर मुहम्मद बिन तुगलक समानता, न्याय और पंथनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राज्य की स्थापना करना चाहता है। लेकिन, समय बीतने के साथ ही राजसत्ता की रक्षा के लिए बार-बार हत्या, नरसंहार, क्रूरता, दमन और अत्याचार का सहारा लेता है। दरअसल, अतीत की यह कथा वर्तमान राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी उतनी ही सार्थक और सटीक साबित होती है। जिसमें राजनेता और जनप्रतिनिधि अपनी महत्वाकांक्षी मानसिकता के चलते कई गैरजरूरी फरमानों के कारण जाने-अनजाने ऐसे फैसले कर बैठते हैं जिनसे प्रजा और तंत्र दोनों प्रभावित होते हैं।
इनका कहना है..

पत्रिका में लगी खबर के कारण दूसरे दिन कार्यक्रम में खासतौर पर युवाओं की भागीदारी से इस तरह के आयोजन के प्रति नई आशा को बल मिला है। लेकसिटीजन्स बहुत लकी हैं कि उन्हें इतने बड़े कैनवास पर मंचित नाटकों का वीडियो अंकन देखने को मिला।
– विलास जानवे, वरिष्ठ रंगकर्मी

व्यक्तिगत तौर पर तुगलक मुझे सम्मोहित करता है इसलिए नहीं कि वह अतीत के चुक जाने का आख्यान है। बल्कि इसलिए भी कि वह अतीत के वर्तमान को समकालीनता की शक्ल सूरत से झकझोरता भी है। यह नाटक अपने युग पुराने अन्तद्र्वन्द्वों और दुविधाओं से रूबरू कराता प्रतीत होता है।
– भानु भारती, नाट्य निर्देशक

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