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#Blood Signature: उदयपुर में हुए खूनी हस्ताक्षर, ऐसा करने की वजह आपको कर देगी हैरान, देखें वीडियो

locationउदयपुरPublished: Oct 13, 2017 10:29:02 am

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

उदयपुर. संविदा कार्मिकों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर खून से हस्ताक्षर कर पाती लिखी।

#Blood Signature
उदयपुर . राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत सेवारत कार्मिकों का कलक्ट्रेट पर 24वें दिन धरना जारी रहा। बीते चार दिन से जिला मुख्यालय पर सेवारत संविदा ओहदेदारों ने भी सरकार के विरोध में कामकाज बंद कर ब्लॉक स्तरीय कार्मिकों का साथ दे दिया है। मुख्यमंत्री के उदयपुर आने की सूचना के बाद सभी संविदा कार्मिकों ने नियमितीकरण की मांग को लेकर खून से हस्ताक्षर कर पाती लिखी।
इससे पहले दिनभर प्रदर्शन करते रहे। फिर आगामी रणनीति पर चर्चा की। जिला परियोजना अधिकारी डॉ. जीएस राव के नेतृत्व में संविदा कार्मिक मौजूद रहे।

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उदयपुर . बीएसटीसी परीक्षा में मूल आवेदक के बजाय अन्य युवक को परीक्षा में बिठाने की साजिश के मामले में आरोपित की अदालत ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। साचौर निवासी आरोपित राजूराम विश्नोई ने तीसरी बार जमानत अर्जी पेश की गई थी, जिस पर अदालत ने सख्त रवैया अपनाया है।

प्रकरण के अनुसार विनोद कुमार ने 30 अप्रेल 2017 को रिपोर्ट दी थी कि हैप्पी होम स्कूल में बीएसटीसी प्रवेश पूर्व परीक्षा के दौरान परिवीक्षक अनीता सालवी एवं सरोज कोठारी ने परीक्षार्थी सुभाषचंद की आईडी व फोटो का मिलान किया। इसमें फोटो कुछ संदेहास्पद लगा। इस दौरान सामने आया कि आवेदक सुभाष की जगह प्रकाशचंद्र परीक्षा दे रहा था। जांच में सामने आया कि आरोपित राजू और प्रकाश ने मिलकर परीक्षा में बैठने की साजिश की।
प्रकाश परीक्षा में सुभाष चंद्र गमार बनकर बैठा। मामले में अदालत ने आरोपित राजूराम की ओर से पेश जमानत खारिज कर दी। इससे पहले अदालत ने मामले में ही दो अन्य आरोपितों की जमानत खारिज की थी।
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उदयपुर. चेक अनादरण मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाले आरोपित की अपील को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय (महिला उत्पीडऩ प्रकरण) ने खारिज करते हुए सजा यथावत रखने के आदेश किए।
धानमंडी की नाल निवासी राकेश चित्तौड़ा ने पिछोली निवासी आरोपित दुर्गेश अहारी के खिलाफ चेक अनादरण का परिवाद पेश किया। इस पर विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट) ने 10 फरवरी 2016 को भादसं धारा 138 के तहत आरोपित अहारी को दोषी मानते हुए दो वर्ष कारावास एवं 31 हजार प्रतिकर का फैसला सुनाया था। इसके खिलाफ अहारी ने ऊपरी अदालत में अपील की थी। प्रकरण के अनुसार आरोपित ने राकेश चित्तौड़ा से 15 हजार 500 रुपए नकद लिए थे, जिसके बदले में उसे 2 जनवरी 2010 का चेक सौंपा था, जो अनादरित हो गया।
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