एनएचएआई की ओर से तीन बार बदली गई इन एजेंसियों ने सुरंग की दीवारों पर वाइट वॉश (चूना पोतना) की भी जहमत नहीं उठाई। हद तो यह है कि टनल के किनारे नालियों की मरम्मत के बाद पत्थरों को मौके से नहीं हटाया गया है। सुरंग की दीवार से बह रहे पानी को डामर वाले हिस्से पर आने से रोकने के लिए भी कोई जतन नहीं किया गया। ऐसा नहीं है कि इन खामियों से प्रशासनिक अमला अनभिज्ञ है। बावजूद इसके कोताही के चलते इन खामियों को लेकर हर स्तर पर सुस्ती बरती जा रही है।
भीतर ही छोड़े पत्थर : उखलियात और खोखारिया नाल टनल में किनारों पर नालियों के सहारे मरम्मत के बाद पत्थर वहीं छोड़ दिए गए। सफेदी कराने वाला कार्य भी आधा-अधूरा कर छोड़ दिया गया है।
इसलिए है जोखिम
अपराह्न में टनल से बाहर निकलते समय पश्चिम दिशा की ओर बढ़ता सूर्य सामने होता है। तब हाईवे की निर्धारित रफ्तार पर चलने वाला वाहन चालक सुरंग के अंधेरे को पार कर जैसे ही बाहर आता है तो सूर्य की चकाचौंध से अनभिज्ञ होता है। वहीं अंधेरे को देख वाहन की लाइट जलाने से पहले किनारे रखे पत्थर और लगातार बहते पानी से सडक़ पर हुए गड्ढे से वाहन चालक एक बारगी अनियंत्रित हो जाता है।
यह कहता है कायदा
हाईवे के नियमों के अनुसार टनल में रोशनी के लिए करीब 200 हैलोजन लाइटें होनी चाहिए, जो मौके पर लगी हुई तो हैं। अनुबंध की शर्तों के अनुसार टोल वसूली वाली एजेंसी इन लाइटों को 24 घंटे जलाकर रखेगी। टनल की लाइटों को जलाने के लिए बिजली लाइनों के साथ ही जेनरेटर की सुविधा उपलब्ध है। बिजली का बिल और जेनरेटर का डीजल बचाने के लिए एजेंसियां बिजली बंद रखती हैं।
औचक निरीक्षण में हमें टनल की लाइटें जलती मिलती हैं। वर्तमान में टोल एजेंसी बदली है। एजेंसी संचालक को इस मामले में पाबंद कर वाहन सवारों की सुविधाओं को ध्यान में रखने के लिए आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे।
वी.एस. मील, प्रबंध निदेशक, एनएचएआई उदयपुर