अब तो सुनो पुकार, थके लगाते-लगाते गुहार
(Culvert deficiency)
बीमार को खाट पर डाल अस्पताल तो बच्चे को कंधे पर बैठाकर ले जाते स्कूलनदी में कमर तक भरे पानी से गुजरते हैं लोगपुलिया के अभाव मेंं वर्षों से जूझ रहे समस्या सेकोटड़ी माफ ला गांव के लोगों की दास्तां
अब तो सुनो पुकार, थके लगाते-लगाते गुहार
उदयपुर जावर माइंस. घर का राशन लाना हो, बीमार को अस्पताल ले जाना हो या गांव में किसी का निधन होने पर शवयात्रा में शामिल होने जाना हो तो समस्या गहरा जाती है क्योंकि बारिश के दिनों में ग्रामीणों को कमर तक भरे पानी में से नदी मेें से गुजरना पड़ता है।
यह दास्तां है ग्राम पंचायत पाड़ला अधीन कोटड़ी माफ ला गांव के टीड़ी नदी के दूसरी ओर निवास करने वाले करीब सौ परिवार के लोगों की। बारिश के दौरान नदी में पानी आने से ग्रामीणों की समस्या विकट हो जाती है। बीमार को खाट पर डाल कर नदी पार करनी पड़ती है तो बच्चों को कन्धे पर बिठा कर नदी पार कर स्कूल के ले जाया जाता है।किसी की मौत होने पर कमर तक पानी को पार कर दूसरी ओर श्मशान में पहुंचना पड़ता है। जूनिझर में मत्स्याखेट करते हुए ब्लास्ट में मारे गए बन्शीलाल के अन्तिम संस्कार में शामिल लोगों को गिरते पड़ते हुए कमर तक पानी को पार कर दूसरी ओर जाना पड़ा। ग्रामीण दिनेश कुमार, मीणा, संजय, बाबूलाल, हीरालाल आदि ने बताया कि वर्षों बीत गए पुलिया व नदी के तट पर श्मशान बनाने की मांग करते हुए आश्वासन बहुत मिले परन्तु कार्य नहीं हुआ। इस बार आक्रोशित गांव के लोगों ने निर्णय लिया कि पुलिया नहीं बनी तो वोट भी नहीं देंगे।