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न जांचें होती ना मिलता पूरा उपचार, ग्रामीणों ने किया हंगामा

locationउदयपुरPublished: Sep 20, 2019 02:34:49 am

Submitted by:

Pankaj

बम्बोरा के मॉडल पीएचसी, चिकित्साधिकारी की गैर मौजूदगी में बने हालात

Villagers created ruckus

न जांचें होती ना मिलता पूरा उपचार, ग्रामीणों ने किया हंगामा

बंबोरा/गींगला . बम्बोरा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को आदर्श का दर्जा दिया गया है, लेकिन यहां ना जांचें होती है और ना ही उपचार मिलता है। यह स्थित कई बार बनती है। गुरुवार को भी ऐसे ही हालात बने। अस्पताल आए लोग इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन उपचार नहीं मिला। किसी ने संतुष्टिप्रद जवाब भी नहीं दिया। लिहाजा ग्रामीणों का आक्रोश फूट पड़ा। लोगों ने हंगामा कर दिया।
कुराबड़ सीएचसी के बाद बम्बोरा पीएचसी ही उपचार के लिए क्षेत्र में सुविधा है। दस उपस्वास्थ्य केन्द्र और तीन दर्जन गांवों की आबादी बम्बोरा पीएचसी के भरोसे है। मौसमी बीमारियों से पीडि़त रोगी यहां पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें जांच सुविधा भी नहीं मिल रही। यहां एलॉपैथी के एक ही चिकित्सक हैं। उनकी अनुपस्थिति में जांच और दवा लिखने को कोई तैयार नहीं होता। मरीज इंतजार करते हैं, लेकिन उपचार नहीं मिलने पर लौट जाते हैं। यहां दो आयुष चिकित्सक यहां प्रतिनियुक्ति पर हैं, लेकिन दवा लिखने से इनकार करने पर मरीजों के पास लौटने के अलावा कोई रास्ता नहीं मिलता। बड़ी जांचें तो दूर मलेरिया तक की जांच भी नहीं होती।
बम्बोरा पीएचसी में गुरुवार को उस समय हालात विकट हो गए, जब मौसमी बीमारियों से पीडि़त मरीज अस्पताल में थे, लेकिन चिकित्सा प्रभारी डॉ. ज्योति नहीं मिली। आयुष चिकित्सा डॉ. सोहन और डॉ. गजानंद से मिले तो उन्होंने एलोपैथी दवा लिखने से मना कर दिया। प्रथम श्रेणी मेल नर्स भीमचन्द ने भी दवा लिखना उचित नहीं समझा। मरीज इधर-उधर भटकते रहे। घंटे भर तक इंतजार के बाद भी कोई उम्मीद नहीं लगी। लोगो ंको आक्रोशित होता देख आयुष चिकित्सकों ने आयुर्वेदिक दवा लिखी। लोगों ने चिकित्सा प्रभारी के नहीं आने का कारण पता किया तो विभगाीय बैठक में जाना बताया। इस संबंध में बीसीएमओ से जानकारी ली तो बैठक नहीं होना बताया। इस पर चिकित्सा प्रभारी ने बैठक स्थगित होना बता दिया।
मामूली जांचें भी नहीं होती
बम्बोरा पीएचसी पर लम्बे समय से लेब तकनीशियन का पद रिक्त होने से किसी प्रकार की जांचें नहीं हो पा रही है। मेलरिया, डेंगू, टाइफाइड की जांचें भी नहीं होती। ग्रामीण कुराबड़, भीण्डर, गींगला और उदयपुर की दौड़ लगाने को मजबूर है। एक एलोपैथी चिकित्सक का पद भी रिक्त है। जीएनम, फार्मासिस्ट, एएनएम, आशा सुपरवाइज का एक-एक पद रिक्त है।
प्रसव संख्या नाम मात्र
बम्बोरा पीएचसी पर संस्थागत प्रसव की संख्या बहुत कम है। अधिकांश गर्भवती महिलाएं रेफर कर दी जाती है। गत दिनों कलक्टर ने भी प्रसव संख्या कम होने पर फटकार लगाई थी।
प्रसव संख्या
– अप्रेल 2017 से मार्च 2018 तक – 33 प्रसव
– अप्रेल 2018 से मार्च 2019 तक – 15 प्रसव
– अप्रेल 2019 से अब तक – 19 प्रसव
मरीजों ने अव्यवस्था पर मुझे भी बताया गया। अस्पताल पहुंचा और उच्चाधिकारियों से बात की। चिकित्सा प्रभारी नहीं रूकती है तो सीएमएचओ से बात करेंगे। व्यवस्था में सुधार के लिए कहा है।
कुबेर सिंह चौहान, पूर्व सरपंच, बंबोरा
दोपहर 3 बजे से विभागीय बैठक होनी थी। पूर्व तैयारी के लिए गई थी, लेकिन बैठक स्थगित हो गई। वापस लौटने में समय लगा है। मेरी अनुपस्थिति में इस तरह की अव्यवस्था होना गंभीर है। उच्चाधिकारियों को अवगत कराऊंगी। लेब टेक्निशियन के लिए भी उच्चाधिकारियों को लिखा है।
डॉ. ज्योति हिलोरिया, चिकित्साप्रभारी बम्बोरा पीएचसी
कोई बैठक नहीं थी और चिकित्सा प्रभारी उनके निजी काम से कहीं गई हो तो पता नहीं। दवाई लिखने से मना क्यों किया गया, जानकारी ली जाएगी। सामन्य बीमारी पर जांच और दवाई लिखने के लिए आयुष चिकित्सक मना नहीं कर सकते हैं। लेब टेक्निशियन के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर लेने की है, लेकिन कोई मिला नहीं है। व्यवस्था करवाते हैं। मरीज बैरंग लौटे, जो गंभीर है। जांच करवाई जाएगी।
डॉ. एमएस धाकड़, बीसीएमओ, गिर्वा
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