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उदयपुर के तालाबों में कब्जे देखने वालों ने 62 दिन निकाल दिए लेकिन हुआ कुछ नहीं

locationउदयपुरPublished: Jul 19, 2019 11:07:47 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

जलाशयों को बचाने में ये कैसी लापरवाही

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उदयपुर के तालाबों में कब्जे देखने वालों ने 62 दिन निकाल दिए लेकिन हुआ कुछ नहीं

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. नगरीय क्षेत्र के तालाबों में हुए अतिक्रमण और निर्माण को लेकर एक रिपोर्ट तैयार करनी थी। रिपोर्ट की तय तारीख को 62 दिन निकल गए है लेकिन अभी तक रिपोर्ट तो दूर की बात है सभी तालाबों के कब्जे ही चिन्ह्ति नहीं किए है। यह आदेश भी दिया जिला कलक्टर ने लेकिन कुछ समय आदेश को लेकर कब्जे चिन्ह्ति करने दौड़े लेकिन उसके बाद तालाबों को देखना ही बंद कर दिया।
असल में आदेश के तहत उदयपुर नगरीय क्षेत्र में स्थित तालाबों, नदियों के पेटे में अवैध अतिक्रण है उनको चिन्ह्ति कर नियमानुसार कार्रवाई करनी थी। इस कार्य को लेकर गिर्वा तहसीलदार, बडग़ांव तहसीलदार, यूआईटी तहसीलदार, जल संसाधन विभाग के अधिशाषी अभियंता सहित झील समिति के सदस्यों को शामिल किया गया और ऐसे जलाशयों को चिन्ह्ति करने का काम भी शुरू कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार कुल 46 तालाबों में से करीब 15 तालाबों को ही अभी देखा गया है बाकी की सर्वे बाकी है। तालाबों की जांच शुरू की तो अतिक्रमण करने वालों की नींद ***** हो गई लेकिन प्रशासन ने इस कार्रवाई को बीच में रोक दिया जिससे कई तालाबों के अतिक्रमण अभी चिन्ह्ति नहीं किया जा सका जबकि मानसून सिर पर है।
आदेश निकला 8 को, रिपोर्ट देनी थी 17 मई को
कलक्टर ने आदेश 8 मई को निकालते हुए एक कमेटी का गठन किया जिसका प्रभारी गिर्वा तहसीलदार श्रवण सिंह को बनाया गया, कमेटी से कलक्टर ने वापस 17 मई तक तालाबों, नदियों, जल प्रवाहों पर हुए अतिक्रमण चिन्ह्ति करेंगे और उसके बाद गिर्वा व बडग़ांव तहसीलदार नियमों के तहत कार्रवाई करेंगे।
कार्रवाई छोड़े कब्जे ही चिन्ह्ति नहीं
वैसे कलक्टर के आदेश के अनुसार तो सभी 46 जलाशयों की 9 दिन के अंदर ही सर्वे कर कब्जे चिन्ह्ति करने थे। इस अवधि में यह कार्य पूरा कर लिया जाता तो अब तक चिन्ह्ति कब्जों को हटाने का कार्य किया जा सकता था। गिर्वा तहसीलदार श्रवण सिंह से इस बारे में पूछा तो बोले कि अभी कानून व्यवस्था में ड्यूटी है, बाद में बता पाऊंगा। झील संरक्षण समिति के संयुक्त सचिव अनिल मेहता कहते है कि कमेटर सदस्यों ने 14 मई को सुखेर, भुवाणा क्षेत्र के कुछ तालाबों को देखा। बाद में बताया गया कि तहसीलदार कार्यालय के स्तर पर जांच की जा रही है लेकिन 2 महीने के बाद भी वर्तमान स्थिति की एक संकलित रिपोर्ट नही मिली है।
पत्रिका व्यू : जलाशयों को बचाने के लिए इच्छा शक्ति रखे…

मानसून का दौर है और इससे पहले दो महीने में इन जलाशयों की सुध ले ली जाती तो बहुत अच्छे परिणाम सामने आते। बारिश से पहले जल प्रवाह, जल भराव को मौके पर जांच का एक ठोस दस्तावेज तैयार हो सकता है। तहसीलदार सहित जो भी कमेटी सदस्य है उनको इन जलाशयों को तत्काल चिन्ह्ति करने का काम करना चाहिए। आश्चर्य की बात है कि अगर तहसीलदार व कमेटी के सदस्यों को कोई दूसरी जिम्मेदारियां दे दी गई है तो वे जिला कलक्टर को अवगत तो करवाते। कुल मिलाकर तालाबों का कब्जो से दम घूट रहा, जल प्रवाह ब्लॉक हो गए है लेकिन उनको चिन्ह्ति कर तय समय पर कार्रवाई नहीं कर रहे है, यूआईटी ने कुछ तालाबों से कब्जे हटाए है लेकिन अभी बड़े काम करने बाकी है। जो कमेटी बनी है उसे इन तालाबों को लेकर जो जिम्मेदारी दी है उसे पूरी इच्छा शक्ति के साथ जल्द समय पर पूरा करें ताकि इन जलाशयों को बचाने की मुहिम को बल मिलेगा।

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