वर्तमान में शहर में चले रहे विभिन्न निर्माण कार्य में सिर्फ स्वच्छता पर ध्यान रखा जा रहा है। पूर्व में सडक़ के दोनों छोर पर कुछ जमीन कच्ची छोड़ी जाती थी, लेकिन अब शहर के विकास और साफ-सफाई के नाम पर इस भूमि को भी सडक़ के दायरे में शामिल कर लिया गया है। कई जगह वॉल-टू-वॉल सीसी या डामर रोड बना दी गई है तो कई जगह सडक़ों के किनारों पर कच्ची भूमि पर टाइलें लगा दी गई हैं। ऐसे में वर्षा जल को संग्रहण नहीं हो पाता है जिससे प्रतिवर्ष करोड़ों लीटर शुद्ध जल व्यर्थ ही बह जाता है।
READ MORE : मिलिए दिल्ली के आफताब से जो इस नेक काम के लिए साइकिल से देशभ्रमण पर निकले हैं टाइलें लगाने में भी अनदेखी
शहर के कई प्रमुख मार्गों के दोनों छोर पर तीन से चार फीट की इंटरलॉकिंग टाइलें लगाई गई है। इसमें भी वर्षा जल संरक्षण का ध्यान में नहीं रखा गया है। ऐसे में ये टाइलें केवल सौंदर्यकरण का काम ही कर रही है। टाइलों को लगाने से पहले इनके नीचे सतह को सीमेंट से पक्का कर दिया गया है, जबकि जमीन पर रेती डालकर इंटर लॉकिंग टाइलें लगाई जानी चाहिए। सडक़ों के दोनों छोर पर इंटर लॉकिंग टाइलें लगाने का उद्देश्य वर्षा जल को भूमि में रिसने का मौका देना है। टाइलों के नीचे सीसी करने से वर्षा का पानी सीधा नालों में बह जाता है।
शहर के कई प्रमुख मार्गों के दोनों छोर पर तीन से चार फीट की इंटरलॉकिंग टाइलें लगाई गई है। इसमें भी वर्षा जल संरक्षण का ध्यान में नहीं रखा गया है। ऐसे में ये टाइलें केवल सौंदर्यकरण का काम ही कर रही है। टाइलों को लगाने से पहले इनके नीचे सतह को सीमेंट से पक्का कर दिया गया है, जबकि जमीन पर रेती डालकर इंटर लॉकिंग टाइलें लगाई जानी चाहिए। सडक़ों के दोनों छोर पर इंटर लॉकिंग टाइलें लगाने का उद्देश्य वर्षा जल को भूमि में रिसने का मौका देना है। टाइलों के नीचे सीसी करने से वर्षा का पानी सीधा नालों में बह जाता है।
यहां हाल काफी खराब
शहर की करीब सभी प्रमुख सडक़ें पूरी तरह से डामरीकृत हो चुकी है। इनमें सूरजपोल, बापूबाजार, देहलीगेट, शास्त्री सर्कल, हाथीपोल, चेटक, सुखाडिय़ा सर्कल सहित कई सडक़ों पर पूरा डामरीकरण हो गया है या साइडों में टाइलें लगाई गई है।
शहर की करीब सभी प्रमुख सडक़ें पूरी तरह से डामरीकृत हो चुकी है। इनमें सूरजपोल, बापूबाजार, देहलीगेट, शास्त्री सर्कल, हाथीपोल, चेटक, सुखाडिय़ा सर्कल सहित कई सडक़ों पर पूरा डामरीकरण हो गया है या साइडों में टाइलें लगाई गई है।
एक्सपर्ट व्यू
एमपीयूएटी के मृदा एवं जल अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर मंजीतसिंह ने बताया कि जनसंख्या विस्तार के साथ ही शहरों का भी विकास होता है। ऐसे में शहर के सौन्दर्यकरण के लिए किए जाने वाले कार्यों के दौरान प्राकृतिक रूप से भू-जल संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए। भू-जल संरक्षित करने का सबसे बढिय़ा तरीका रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग है। शहरी विकास से जुड़ी एजेंसियों को भूजल संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।
एमपीयूएटी के मृदा एवं जल अभियांत्रिकी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर मंजीतसिंह ने बताया कि जनसंख्या विस्तार के साथ ही शहरों का भी विकास होता है। ऐसे में शहर के सौन्दर्यकरण के लिए किए जाने वाले कार्यों के दौरान प्राकृतिक रूप से भू-जल संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए। भू-जल संरक्षित करने का सबसे बढिय़ा तरीका रूफ टॉप रेन वाटर हार्वेस्टिंग है। शहरी विकास से जुड़ी एजेंसियों को भूजल संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए।