यह मनोदशा उन युवतियां व महिलाओं की है, जो दुष्कर्म की शिकार हुई। अब ये मु_ी भींचती हैं तो ऐसे दरिंदों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए, उन्हें सबक सिखाने के लिए….रुलाई उस दिन के खौफनाक मंजर को लेकर और अब हिम्मत बन तनकर खड़ी हो रही है, पूरी नारी शक्ति को हिम्मत देने के लिए। ये शुक्रवार को गरिमा यात्रा के साथ उदयपुर पहुंची, जो 20 दिसम्बर को मुम्बई से रवाना हुई और 22 फरवरी को दिल्ली में समाप्त होगी। यात्रा 24 राज्यों के 200 जिलों में 65 दिनों में करीब दस हजार किलोमीटर का सफर तय करना। इनका कहना है हम कमजोर नहीं, हमें कहीं अपनों ने लूटा तो कहीं मजबूरी में छला। हमारी हिम्मत टूटी नहीं, हम हारी नहीं, ऐसे दरिंदों से लडऩे के लिए एक नहीं, हजारों दुर्गा बनाएंगी। बस, हमें संबल चाहिए, सामाजिक अभिशाप नहीं।
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मेरी लड़ाई अभी बाकी है – चित्तौडग़ढ़ जिले से हूं। कुछ पड़ोसी जान से मारने की धमकी देकर जबरन साथ ले गए। उस समय घर पर कोई नहीं था। बाद में एक कागज पर हस्ताक्षर करवाए और मंदिर में जबरन गले में माला डलवाई। एक कमरे में २० दिन तक रोजाना बलात्कार किया। जैसे-तैसे किसी किसी की मदद लेकर घर फोन किया। पिता पुलिस लेकर वहां पहुंचे। अफसोस कि बाद में पुलिस ने भी आरोपियों की मदद की और फिर से मुझे उसी दलदल में धकेलने की कोशिश की। लेकिन, मजबूती से मैं बच निकली। अब दूसरी लड़कियों की जिन्दगी बर्बाद नहीं हो इसलिए मैं गरिमा यात्रा से जुड़कर उन्हें उनके अधिकार बताने निकली हूं।
—– अब भी खुले में घूम रहे हैं अपराधी
छठीं कक्षा में मेरी बेटी पढ़ती है। उत्तरप्रदेश की हूं। पड़ोस में रहने वाले युवकों ने मेरी बेटी के साथ बलात्कार किया। पूरा परिवार सहम गया। बेटी को सदमा बैठ गया, लेकिन मैंने उसे हिम्मत दी, मजबूती दी। ठान लिया कि बेटी को फिर से नया जीवन दूंगी और दरिंदों को जेल तक पहुंचाऊंगी। हालांकि, यह इतना आसान काम नहीं है। अपराधी खुले में घूम रहे हैं। मामला वापस लेने के लिए धमकियां देते हैं। अब मैं कहां हारने वाली। पुलिस के पास गए तो समझौता के लिए दबाव बनाया। दरिन्दों से कागज पर लिखवाया कि अब लड़की को परेशान नहीं करेंगे। उसके बाद तीन बार बलात्कार किया। उसके बाल उखाड़ लिए लेकिन पुलिस ने मदद नहीं की। अब सभी आरोपियों को फांसी पर लटकाने के मिशन पर हूं। ऐसे बच्चियों के लिए हिम्मत बनकर खड़ी हूं।
– १०० लड़कियों को किया जिस्मफरोशी से दूर मन्दसौर की हूं। यहां एक समाज में कुरीति के तहत 10 से 12 वर्ष की लड़कियों को देह व्यापार में धकेल दिया जाता है। मैं इसके विरोध में खड़ी हुई। धमकियां मिली लेकिन मैंने पूरे समाज को ही नई दिशा देने की तरफ कदम बढ़ाया। उनमें नई रोशनी व नई जिन्दगी फूंकी, अब तक जनजागृति से १०० से अधिक लड़कियों को देह व्यापार के दलदल से दूर किया। ये बच्चियां अब पढऩे जाती है, जिनके परिजनों ने विरोध किया, उन्हें छात्रावासों में भेजा। एक गांव से शुरू की जनजागृति की लौ अब एक साथ दस गांवों तक पहुंची है। धीरे धीरे इसे और पढ़ाएंगे। जहां भी बालिका व महिलाओं के साथ बलात्कार होने की जानकारी मिलती है, मन विचलित हो उठता है। अब उन्हें हिम्मत देने चल निकले हैं।
बेच दिया था दो लाख में
मजदूरी के नाम पर कुछ लोग मुझे मध्यप्रदेश के एक गांव लेकर गए और वहां दो लाख रुपए में किसी को बेच दिया। खरीदार, रोजाना बलात्कार करता। पहले वहां एक लड़का आता फिर यह संख्या दो से तीन तक पहुंची। जैसे-तैसे किसी की मदद से पुलिस तक पहुंची, इसके बाद इसमें से एक को जेल हुई, लेकिन मेरा बड़ा नुकसान हुआ क्योंकि पति ने छोड़ दिया। बच्चे भी अब दूर हो गए। मैंने हिम्मत नहीं हारी। सिलाई कर घर चलाती हूं, अन्य ऐसी महिलाओं के लिए संबल बन रही हूं।
—– ब्लर्ब…….राष्ट्रीय गरिमा अभियान के सह समन्वय राजेन्द्रसिंह ने बताया कि वह इस अभियान के माध्यम से देश भर की पीडि़त महिलाओं को सम्मान दिलवाने निकले हैं। दुष्कर्म के बाद न्याय लेने के दौरान होने वाली प्रताडऩा का भी वे विरोध कर रहे हैं। स्थानीय महिला मुद्दों पर काम कर रही उषा चौधरी ने भी महिलाओं से जुडे़ मुद्दों पर चर्चा की