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कलम-किताब की जगह हाथों में हथियार

locationउदयपुरPublished: Jun 13, 2022 12:28:37 pm

बीते महीनों में सामने आए केस, गैंग के प्रलोभन में अपराध से जुड़ रहे स्कूली बच्चे

कलम-किताब की जगह हाथों में हथियार

कलम-किताब की जगह हाथों में हथियार

उदयपुर शहर और गांव के कई निजी स्कूलों के बच्चे गुंडा गैंग का हिस्सा बनते जा रहे हैं। ऐसे में बच्चे हथियार खरीदने तक का कदम उठा लेते हैं। ज्यादातर निजी स्कूलों की बड़ी कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चे हैं, जो बाहरी गैंग से प्रभावित होकर फंसते जा रहे हैं।
रुतबा और टशन में अपना प्रभाव जमाने के चक्कर में बच्चों की ओर से हथियार खरीदने के केस भी सामने आते रहे हैं। ये अलग बात है कि पता चलने पर परिजनों की ओर से उनसे हथियार जब्त कर लिए जाते हैं और मामला घर का घर में ही रह जाता है, लेकिन इस तरह के वाकये होने से इनकार नहीं किया जा सकता। बीते महीनों में जिले में ऐसी चौंकाने वाली कई घटनाएं सामने आई, जिनमें बच्चों के पास चाकू और पिस्टल जैसे हथियार भी मिले। अपने दोस्तों की गैंग में प्रभाव जमाने, छोटी-मोटी बात पर क्लासमेट को डराने-धमकाने के लिए भी बच्चे हथियार दिखा देते हैं। यह निश्चि है कि बच्चों को हथियार उपलब्ध कराने मे बाहरी गुंडा तत्व सक्रिय रहते हैं।
केस 01

करीब छह माह पहले सोशल मीडिया पर हथियार लहराती गैंग को पुलिस ने ट्रेस किया तो सामने आया कि गैंग में एक आरोपी के साथ दो किशोर थे, वे ग्रामीण क्षेत्र के एक स्कूल की 11वीं-12वीं में पढ़ रहे थे, लेकिन वीडिया बनाते समय उन्हें जरा भी खौफ नहीं था।
केस 02

भूपालपुरा थाना क्षेत्र में करीब एक साल पहले शहर के एक नामी स्कूल के बच्चे से पुलिस ने पिस्टल बरामद की थी। उसने अपने क्लासमेट को डराने-धमकाने के लिए हथियार खरीदा। पुलिस ने हथियार बरामद किया, वहीं उसे हथियार देने वाले को गिरफ्तार भी किया।
केस 03

प्रतापनगर थाना क्षेत्र के एक स्कूल में भी छात्र की ओर से हथियार लेकर स्कूल में जाने की घटना हो चुकी है। बात समझाइश पर खत्म हो गई, लेकिन छात्र शिक्षक को धमकाने की सोचकर चाकू लेकर स्कूल में पहुंच गया था। परिजनों की क्षमा याचना पर मामला शांत हुआ।
बच्चों की मानसिकता बदल रही है

शिक्षक, विद्यार्थी और अभिभावकों के बीच दूरी बढऩे से ऐसी घटनाएं सामने आती रही है। बीते समय में सोशल मीडिया और टीवी के प्रभाव में बच्चों की मानसिकता बदलती जा रही है। स्कूलों में सजा का प्रावधान और शिक्षकों का डर खत्म सा हो गया है। हालांकि सरकारी स्कूलों में अब भी स्थिति नियंत्रण में है, क्योंकि उनमें बच्चे निम्न परिवारों के होते हैं, लेकिन निजी स्कूलों में हायर सोसायटी के बच्चे होते हैं, जो आसानी से बाहरी दुनिया और आपराधिक किस्म के लोगों के प्रभाव में पड़ते नजर आते हैं। सरकारी स्तर पर ऐसी व्यवस्था हो कि निजी स्कूलों पर भी नजर रखी जा सके। निजी स्कूलों में पढ़ाई के साथ ही नैतिक शिक्षा पर जोर दिया जाना चाहिए।
भरत मेहता, सेवानिवृत्त उपनिदेशक, शिक्षा विभाग

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