उपखंड कोटड़ा में राजीविका की लघु सलाहकार योजनाओं से कुल 357 महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के लघु उद्योग स्थापित किए। जिसमें मुख्यत: बीसी ईमित्र, कंप्यूटर ऑपरेटर, भोजनालय, किराणा स्टोर, जनरल स्टोर, सब्जी व्यापार, अल्पाहार दुकान, खिलौने की दुकान आदि शामिल है। कोटड़ा में 4 कलस्टर संगठन बने हुए हैं, जो समूहों की देखरेख करते हैं। सभी गांवों में अलग-अलग समूह बने हैं, जिनमें 15 से 20 महिलाएं जुड़ी हैं। महिलाएं समूह में प्रति सप्ताह सदस्यों से 20-20 रुपए जमा करती है। जो करीबन 300 से 400 रुपए बनते हैं। व्यापार में जरूरत है तो लोन दिया जाता है।
आत्मनिर्भरता की मिसाल
केस -01
आत्मनिर्भरता की मिसाल
केस -01
नयावास निवासी राधा देवी, 12वीं तक पढ़ी है, जो भोजनालय चलाती है। सरस्वती समूह की सदस्य है। राधा ने बताया कि गरीबी में पढ़ाई नहीं कर पाई। राजीविका के संपर्क में आकर समूह की सदस्य बनी। तीन साल पहले जुड़कर बचत शुरू की। पचास हजार का लोन लेकर भोजनालय स्थापित किया। प्रतिदिन 1000-1500 रुपए आय होती है।
केस-02
सरली निवासी नीतू देवी, स्नातक में अध्ययनरत है। बैंक बीसी है। नीतू ने बताया कि पढ़ाई के साथ खेती करती थी। राजीविका के समूह से जुड़ी। बैंक बीसी बन गई। 60 हजार का लोन मिला। लैपटॉप, प्रिंटर मशीन आदि खरीदे। बैंक बीसी से प्रतिदिन 800-900 रुपए आय होती है।
केस-03
केस-02
सरली निवासी नीतू देवी, स्नातक में अध्ययनरत है। बैंक बीसी है। नीतू ने बताया कि पढ़ाई के साथ खेती करती थी। राजीविका के समूह से जुड़ी। बैंक बीसी बन गई। 60 हजार का लोन मिला। लैपटॉप, प्रिंटर मशीन आदि खरीदे। बैंक बीसी से प्रतिदिन 800-900 रुपए आय होती है।
केस-03
सुमित्रा देवी भी स्नातक में अध्ययनरत है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की दुकान चलाती है। नौकरी नहीं मिलने से निराश थी। आजीविका के समूह से जुड़ी और 30 हजार का लोन मिला। इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का सामान खरीदा। पति के साथ दुकान चलाती है। 20-25 हजार मासिक आय होती है।
राजीविका ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के उत्थान एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए समूह बनाकर लोन देते हैं। जिससे वो अपनी व परिवार की आमदनी बढ़ा सकें। इससे आदिवासी अंचल की महिलाओं की आत्मनिर्भरता बढ़ी है।
मनोज मीणा, बीपीएम, राजीविका कोटड़ा