scriptउपचार करते हुए खुद संक्रमित तो हुए लेकिन तसल्ली ये कि जान बचाने में नहीं रहे पीछे | While getting treatment, he himself got infected but it was | Patrika News

उपचार करते हुए खुद संक्रमित तो हुए लेकिन तसल्ली ये कि जान बचाने में नहीं रहे पीछे

locationउदयपुरPublished: May 09, 2021 09:29:24 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

उदयपुर के सितारे..

कर्नाटक : कोविड से 65 चिकित्सकों ने गंवाई जान

उदयपुर के सितारे..

भुवनेश पंड्या
– उदयपुर. ये उदयपुर के सितारे हैं। ये चिकित्सक लगातार कोरोना मरीजों का उपचार करने में ड्यूटी करते रहे हैं, लेकिन इस बार वे स्वयं संक्रमित हो गए। अपने काम के दौरान मरीजों से लगातार बातचीत करने और उनकी मनस्थिति बेहतर करने का भी खूब प्रयास किया है। धैर्य के साथ उपचार ने कई मरीजों को संबल दिया।
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डॉ गौरव शर्मा, सीनियर रेजिडेंट मूलत: जयपुर ड्यूटी

– इएसआईसी में नियमित सेवा देने के बाद कोविड हुए

विचार- पहले तो मैं मुम्बई में हिन्दु हृदय सम्राट बाला साहब ठाकरे मेडिकल कॉलेज में कोविड मरीजों का उपचार बतौर रेजिडेंट कर रहा था। सितम्बर से नियमित आरएनटी में काम कर रहे हैं। शुरू में बुजुर्ग चपेट में आ रहे थे, लेकिन अब युवा ज्यादा ज्यादा शिकार हो रहे हैं। ये सबसे बड़ा खतरा है। शुरुआत में जब युवा संक्रमित होते हैं, तो उन्हें लगता है कि वह रिकवर कर लेंगे, लेकिन इस पर भी सभी को बेहद गंभीर होना जरूरी है, क्योंकि कई ऐसे कम उम्र वाले लोग आ रहे हैं, जो कुछ ही दिनों में कमजोर होकर मौत तक पहुंच जाते हैं। सभी से इतना ही कहना है कि कोरोना प्रोटोकोल का पूरा पालन करें। जब भी कोई युवा मौत देखता हूं तो असहज हो जाता हूं, अन्दर से खूब पीड़ा होती है। कई बार लोग घबराए से पहुंचते हैं उन्हें काउंसलिंग कर सामान्य करना पड़ता है ताकि घबराहट में उनकी परेशानी बढ़ नहीं जाए, कई बार आंखों से सामने मौत होने से तकलीफ होती है कि सब कुछ प्रयास के बाद भी बचाने में असफल रहे, लेकिन हमारी कोशिश ये ही रहती है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को बेहतर कर सुरक्षित घर भेज सके।
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डॉ अशोक यादव, सीनियर रेजिडेंट

मूलत: जयपुर

ड्यूटी- 30 अप्रेल तक इएसआईसी में, इसके बाद संक्रमित विचार-जब से कोविड आया है तब से कॉविड वार्ड और आईसीयू में रॉटेशनवाइज ड्यूटी कर रहा हूं। इस बार स्थिति ज्यादा खराब है पहले सिर्फ कोविड़ बुजुर्गों को ज्यादा प्रभावित कर रहा था, और युवा जो संक्रमित होते थे वो ठीक भी हो रहे थे। इस बार उम्र कोई बंधन नहीं है, लगभग सभी उम्र के लोगों को कॉविड प्रभावित कर रहा है और मरीज गंभीर भी ज्यादा हो रहे हैं। पहले की तुलना में मौतें भी ज्यादा हो रही हैं। और सबसे दुखद बात ये है हम तमाम कोशिशों के बाद भी ये सिलसिला कम नहीं कर पा रहे हैं। दु:ख तो बहुत होता है पर कोशिशों में हमारे कोई कमी नहीं है। हमने ड्यूटी के समय ये ऑब्जर्व किया है कि जिनको टीका लग चुका है उनमें से कुछ लोग संक्रमित तो हो रहे हैं, लेकिन बीमारी उनको ज्यादा प्रभावित नहीं कर रही है। इसलिए सभी लोगों को बिना किसी नेगेटिव विचार के वैक्सीन लगवाना चाहिए। घर में रहिए, सुरक्षित रहिए। जान है तो जहां है। बुरा वक्त है पर ये भी निकल जाएगा।
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