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वन विभाग ने शुरू की कवायद, दक्षिण की पहाडिय़ों पर दिखेंगे दुर्लभ सफेद फूल के पलाश

locationउदयपुरPublished: Dec 26, 2018 01:04:38 pm

पौष्टिकता पर शोध, मिले बेहतर परिणाम
 

aravali

illegal mining in aravalli hills in ajmer

सिकन्दर पारीक/उदयपुर. दुर्लभ व चमत्कारिक कहे जाने वाले सफेद फूल के पलाश अब न केवल आने वाले दिनों में दक्षिण राजस्थान के जंगलों में दिखेंगे बल्कि सजावट के लिए भी इनकी पौध तैयार की जा रही है। उदयपुर जिले के कोटड़ा में जहां नर्सरियों में इसका पौधा तैयार हो रहा है, वहीं यहां वन विभाग की चीरवा स्थित फूलों की घाटी में यह आमजन का आकर्षण का केन्द्र बनेंगे। अब तक 100 पौध तैयार हो चुकी है। इधर, पलाश (टेसू, ढाक, खाखरा) के औषधीय महत्व पर शोध के बाद इसकी पौष्टिकता के बेहतर परिणाम मिले हैं। इसे आदिवासियों की आजीविका से जोड़ा जा रहा है।

खूब है चमत्कारिक

सफेद फूल का पलाश चमत्कारिक व दुर्लभ है। कहते हैं कि इसके फूल का कैप्सूल मुंह में रखने पर व्यक्ति दिखता नहीं है, हालांकि वैज्ञानिक आधार पर इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है। वास्तु शास्त्र में भी इसके बहुत उपयोग बताए गए हैं।
बनी है कहावत ढाक के तीन पात

पलाश की पत्तियों पर ही कहावत बनी है ढाक के तीन पात। नारंगी हो या सफेद फूल का पलाश, इसकी तीन पत्तियां होती है और तीनों हमेशा एक सी रहती है।
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खूब है यह पौष्टिक

वाग्धारा और भूमिका संस्था की ओर से प्रयोगशाला में पौधों की जांच करवाई, इसमें निम्न पौषक तत्व मिले।
प्रोटीन 12 ग्राम
विटामिन सी 12 प्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट 74 ग्राम

आयरन 12 प्रतिशत
कैल्शियम 06 प्रतिशत

सोडियम 21 मिलीग्राम
कोलेस्ट्रोल बिल्कुल नहीं

इनका कहना है
पलाश के फूलों से यहां केसरियां रंग बनता है। गुजरात में अच्छी बिक्री होती है। अब यहां दुर्लभ कहे जाने वाले सफेद फूल वाले पलाश तैयार कर रहे हैं। – ओपी शर्मा, उप वन संरक्षक, उत्तर मंडल, उदयपुर

सफेद फूल वाले पलाश दुर्लभ व चमत्कारिक कहे जाते हैं। इसका कैप्सूूल मुंह में रखने पर गायब हो जाने की चर्चाएं आमतौर पर सुनने को मिलती है लेकिन प्रमाणिक नहीं है। संभवत: इस पर शोध भी नहीं हुआ। इसका महत्व बताने के लिए यहां आयुर्वेद विवि परिसर में एक पौधा लगाया गया है। – प्रो. कामिनी कौशल द्रव्य, गुण विज्ञान विभाग, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, उदयपुर
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