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वैक्सीन लगी होगी, कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव होगी तब जा सकेंगे वन्यजीव गणना में

locationउदयपुरPublished: May 18, 2021 11:39:44 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

वन्यजीव गणना 26-27 मई को, गणना पर भी कोरोना प्रॉटोकॉल, उदयपुर-राजसमंद में 240 वॉटर प्वॉइंट पर होगी गणना

वन्यजीव गणना में वाटर होल पर पैंथर। -फाइल फोटो

वन्यजीव गणना में वाटर होल पर पैंथर। -फाइल फोटो

मुकेश हिंगड़ / जितेन्द्र पालीवाल
उदयपुर / राजसमंद. जंगलों में वन्यजीवों की गणना के लिए वन विभाग तैयार है। कोरोना संक्रमण का असर जरूर दिखने को मिल रहा है लेकिन गणना को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है। ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा 26 मई को होने वाली गणना में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन लगा चुके कर्मचारियों व वन्यजीव प्रेमियों को शामिल किया जाएगा, इसके अलावा जो शामिल होंगे उनकी 72 की अवधि की कोरोना नेगेटिव की रिपोर्ट अनिवार्य होगी। संभाग में सबसे बड़ी गणना उदयपुर, राजसमंद, पाली और अजमेर जिले की सीमा में फैले कुम्भलगढ़ व रावली-टॉडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य की 12 रेंज में होगी। 26 को शुरू होने वाली गणना अगले 24 घंटे तक चलेगी।
कोरोना का वन्यजीव गणना पर असर इस कदर होगा कि गणकों को प्रशिक्षण भी ऑनलाइन ही दिया जाएगा तथा इसके लिए उनको आवेदन भी करना होगा। स्कू्रटनिंग में ही साथ आए लोगों को अलग-अलग दल में शामिल किया जाएगा, ताकि संक्रमण का खतरा न हो। हालांकि गणकों को 72 घंटे की अवधि में करवाई आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी होगी। गणकों को ट्रेनिंग भी ऑनलाइन ही दी जाएगी। इस कार्य में ज्यादातर सेंचुरी एरिया के आसपास के स्थानीय लोग ही शामिल होते हैं। उदयपुर के उप वन संरक्षक (वन्यजीव) अजीत ऊंचोई बताते है कि गणना को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है, इसमें प्वाइंट के अलावा कैमरा ट्रेप भी लगाए जाएंगे।
राजसमंद में 24 तक आवेदन करना होगा
उपवन संरक्षक कार्यालय, राजसमंद में 24 मई तक गणक के रूप में शामिल करने के लिए आवेदन करना होगा। प्रतिवर्ष करीब 250 वॉटरहॉल पर वन्यजीव गणना की जाती है, लेकिन इस बार जंगल में कुछ वॉटरहॉल पर पानी की उपलब्धता होने से 200 वॉटरहॉल पर ही गणना की जाएगी। 2 जून तक के लिए जहां पर्याप्त पानी है, उन वॉटरहॉल्स को सूचीबद्ध किया जा रहा है। प्रत्येक प्वॉइंट पर दो गणक बैठेंगे, जिनमें वनकर्मी भी शामिल होंगे।
गणना एक नजर में
35 से 40 वॉटर प्वाइंट उदयपुर जिले के अभयारण्यों में
2 सेंचुरी कुम्भलगढ़ व रॉवली-टॉडगढ़ में होगी गणना
250 राजसमंद के वॉटरहॉल में से 200 पर होगी गणना
300 गणक वन्यजीवप्रेमी व 100 वनकर्मी राजसमंद में होंगे
25 जगहों पर राजसमंद ट्रेपिंग के लिए लगाए जाएंगे कैमरे
मेवाड़ में सर्वाधिक पैंथर
वन्यजीव गणना में यहां सर्वाधिक पैंथर ही मिलते है। औसत सर्वाधिक पैंथर राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ में मिलते है। इसके अलावा सीतामाता अभयारण्य, रावली टॉडगढ़, जयसमंद व फूलवारी की नाल में पैंथर मिलते है। इसके अलावा सीतामाता अभयारण्य में उडऩगिलहरी, जयसमंद में जंगली सुअर, लंगूर, सज्जनगढ़ में लंगूर व चीतल ज्यादा मिलते है। इसके अलावा सुअर, जंगली सुअर, चौसिंगा, चिंकार, भालू, खरगोस, सैही, रोजड़ा, खरगोश, लंगूर, मगरमच्छ, जंगली मुर्गे, गिद्ध, मोर, तीतर, जरख, बिज्जू, जंगली बिल्ली व रस्टी स्पॉटेड केट व नेवले भी मिलते है।
जंगल में रोशनी का लेम्प चांद
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वन्यजीव गणना कराई जाती है। ऐसा इसलिए कि रात को अच्छी रोशनी चाहिए। जंगल में रोशनी का लेम्प चांद है। उस दिन प्रकाश अधिक भी रहता है और प्रकाश के घंटे भी अधिक मिलते है। अभयारण्यों व जंगलों में मचान इस तरह से बनाए जाते है कि उस जगह से वन्यजीव डिस्टर्ब नहीं हो।
– डा. सतीश कुमार शर्मा, वन्यजीय विशेषज्ञ

वर्ष 2020 की गणना में पैंथर एक नजर में
जयसमंद… 15
सज्जनगढ़… 02
बाघदड़ा नेचर पार्क … 01
फुलवारी की नाल… 24
जवाई… 31
कुल… 73
(ये आंकड़े डीएफओ वन्यजीव उदयपुर के अधीन इलाकों के)
गणना कैसे होती है, समझे आप

पैंथर की गणना में बहुत ध्यान रखना होता
मेवाड़ में सर्वाधिक पैंथर मिलते है। इनकी वन्यजीव गणना में बहुत ध्यान रखना होता है। पैंथर की गणना के लिए मुख्य रूप से दो विधियां है एक वाटर गणना व दूसरी प्रत्यक्ष गणना। प्लास्ट ऑफ पेरिस से उसका पगमार्ग लिया जाता है क्योंकि वह बदलता नहीं है। एक्सपर्ट के अनुसार पैंथर के पीछे वाले बाएं पैर का निशान फ्रेम में लिया जाता है। उसके पांव, अंगुली आदि का नाप लिया जाता है। इसमें सबसे पहले तो नर व मादा पैंथर को अलग-अलग किया जाता है। चार लाइन के घेरे लेंगे, चारों भुजाए बराबर है तो नर होगा। इस प्रकार पैंथर की गणना होती है। सत्यापन पर्ग मार्क गणना से ही होती है।
अन्य वन्यजीवों की गणना
– सांभर : इनकी गणना प्रत्यक्ष होती है। वाटर ***** पर ये ग्रुप में शाम को आते है। पानी पीने है, पानी में बैठते है, वहां नहाने के साथ ही लोटते ही है। ये पानी के अलावा कीचड़ वाला जो स्थान है वहां पर भी जाते है, ऐस में वाटर गणना के अलावा वहां भी नजर रखी जाती है।
– चीतल, सांभर : इनकी गणना भी प्रत्यक्ष रूप से होती है, ग्रुप में आते हे। इसको हेड काउंटिंग ही होती है। रोजड़ा, जंगली सहित अन्य सभी की गणना हेड काउंटिंग से ही होती है।
वन्यजीव गणना में मचान पर निगरानी करता स्टाफ। - फाइल फोटो
वन्यजीव की हेड काउंटिंग को समझे
इसमें यह माना जाता है कि वन्यजीव 24 घंटे के अंदर पानी के पास आएगा। ऐसे में मचान से गणना करने वाली टीम को वह जरूर दिखेगा और उसकी गणना हो जाएगी। इसमें निपूर्ण लोग जो होते है उनको इतना तक पता रहता है कि कौनसा जानवर किस समय आता है तो वे उस समय सक्रिय हो जाते है।
गणना में नहीं दिखते फिर भी होती गिनती
कुछ वन्यजीव ऐसे होते है जो गणना के समय नहीं दिखते है लेकिन फिर भी उनका नाम गणना में शामिल होता है। ऐसे वन्यजीव कुछ दिन पहले भी दिखे होते है या जो वन नाको पर जो ऑब्वेशन रजिस्ट्रेशन होता है उसमें भी उनकी जानकारी होती है ऐसे वन्यजीवों को नोट डालकर गणना में लिया जाता है। इसकी समीक्षा की जाती है कि वह वन्यजीव तो इस इलाके में देखा गया, लेकिन न ऐसे वन्यजीव का शिकार हुआ न कोई एक्सीडेंट केस हुआ आदि के साथ नोट डाकर उसको गणना में शामिल करते है।
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