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VIDEO : अभयारण्यों के लिए अच्छी खबर, मेवाड़ का कुंभलगढ़ और रावली टॉडगढ़ बघेरों के लिए सबसे मुफीद

locationउदयपुरPublished: Mar 06, 2019 12:36:47 pm

Submitted by:

Mukesh Hingar

वन्यजीव गणना 2018 के आंकड़े

2 Leopard cubs spotted

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मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. मेवाड़ के अभयारण्यों से अच्छी खबर आई है। वन्यजीव गणना 2018 के जो आंकड़े जारी हुए है उसमें कुंभलगढ़ व रावली टॉडगढ़ बघेरों के लिए सबसे मुफीद जगह साबित हुई है। वहां पैंथर की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी हुई है। जंगल के मैनेजर माने जाने वाले पैंथर्स की गणना की शीट की समीक्षा से यह तो सामने आया कि शहरों से सटे अभयारण्यों में एकाएक पैंथरों की संख्या में कम हुई है या पूर्व की गणना के समानांतर रही है। वन्यजीव गणना वन क्षेत्रों में स्थित जलस्रोतों पर वनकर्मी तैनात किए जाते हैं। वे उस एक दिन (24 घंटे) में वहां आने वाले पैंथरों व अन्य वन्यजीवों को गिनते हैं।
कुंभलगढ़ इसलिए आबाद पैंथर से
कुम्भलगढ़ क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से अत्यधिक समृद्घ है। वहां पर पैन्थर, भालू, जंगली सूअर, चीतल, सांभर, चिंकारा, भेडिय़े, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, सियार एवं चौसिंगा आदि के साथ ही सरीसृप और विविध प्रकार के पक्षी काफी संख्या में है। वहां पर पैंथरों की संख्या वैसे भी 80 से ज्यादा ही गणना में आती रही है।
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आंकड़ों की एक्सल शीट में उलझन भी
– एक ही पैंथर दो बार भी पानी पीने आ सकता है। ऐसे में उसकी दो बार गणना हो जाती है
– एक ही पैंथर दो अलग-अलग जगहों पर भी पानी पीने जा सकता है। ऐसे में भी दोहराव हो सकता है।
– कई बार अच्छी बारिश होने से जंगलों व अभयारण्यों में कुछ जगहों पर भी थोड़ा बहुत पानी जमा हो जाता है, जहां गणना के दौरान वनकर्मी तैनात नहीं होते। ऐसे में वहां पानी पीने आने वाले पैंथर की गणना नहीं हो पाती है।
– कोई पैंथर गणना के दिन किसी अन्य स्थान या इलाके में है तो वह क्षेत्र में पानी पी लेता है तो वह उन जलस्रोतों पर नहीं जाता है।
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