चिकित्सालय सूत्रों की मानें तो यह उसका चौथा प्रसव था और वह नौ माह पूरे होने के बाद जांच कराने चिकित्सालय आई थी। प्रसव से पूर्व चिकित्सकों ने उसकी सभी तरह की जांचें करवाई। उसे वार्ड में बेड अलॉट किया गया। तब भी वह वार्ड छोडक़र बाहर घूमने लगी। चौथा प्रसव होने के कारण सरे (चिरवा) निवासी मोहनी को दर्द का अहसास नहीं हुआ और उसने चिकित्सालय के समीप नवजात को जन्म दिया। मामले को लेकर नर्सिंग अधीक्षक मन्नाराम पंवार ने बताया कि प्रसूता बिना बताए वार्ड से बाहर आकर घूम रही थी। प्रसूता के पति ने बताया कि प्रसव काल में वह खुद गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। इसलिए वह प्रसव काल में उसकी चिकित्सकीय जांच पूरी नहीं करा सका। जन्म के बाद से जच्चा व बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
READ MORE: उदयपुर में एक ही स्कूल के 6 जनों को स्वाइन फ्लू महिला के पति भंवरलाल ने बताया कि वह पत्नी मोहिनी को लेकर अस्पताााल पहुंचा। सुबह उसे आउटडोर में दिखाया। डॉक्टर ने दवा लिखकर भेज दिया। लौटकर ब्लड बैंक के सामने आ गए। चाची और मोहिनी को यहीं बैठा दिया। मैं दवा लेने चला गया और पीछे से उसे प्रसव पीड़़ा होेने लगी। वह दर्द से कराहने लगी । चाची ने उस वक्त मदद के लिए खूब आवाज लगाई, कई लोग आए लेकिन अस्पताल का स्टाफ नहीं पहुंचा। इस दौरान मोहनी के वहीं डिलीवरी हो गई। जब बच्चे की रोने की आवाज आई तो आवाज सुन होमगार्ड जवान वहां पहुंची। महिला की स्थिति देखकर उसने स्ट्रेेचर मंगवाई। स्ट्रेचर पर लेटाकर अस्पताल ले जाने लगे तो यहां भी गेट पर ताला लगा मिला। इससे उन्हें और इंतजार करना पड़़ा। इसके बाद मौके पर डॉक्टर पहुंचे और मोहनी का इलाज शुरू किया। बाद में डॉक्टर्स ने बताया कि जज्चा व बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।