प्रदर्शनी का शुभारंभ प्रख्यात चित्रकार डॉ. सुशील निम्बार्क और आर्किटेक्ट सुनील लड्ढा ने किया। निम्बार्क ने कहा कि सादृश्यता से परिपूर्ण चित्रों में भारतीय परंपरा के दर्शन होते हैं। साथ ही कलात्मकता, रचनात्मकता के विमर्श की पड़ताल परलक्षित होती है। समकालीन भारतीय कला वैचारिक, अवधारणात्मक और रचनात्मक दृष्टिकोण से विविध प्रश्नों से जूझ रही है। पश्चिम आयातित हुए भारत में ही अभी तक कला फलीफूली है। इसमें देशज दृष्टि और भारतीय सांस्कृतिक वैचारिक अधिष्ठान को समाहित करते हुए, समाज में कला की ग्रहणशीलता और प्रसंगिगता को महत्वपूर्ण बनाने की आवश्यकता है, जिससे वैश्विक दृष्टिकोण से आधुनिक कला जगत में, भारतीय आधुनिक कला होने की छांव दिखाई देगी।
इनके बनाए चित्र सजे हैं प्रदर्शनी में ग्रुप चित्र प्रदर्शनी में मयूरी मेहता, अदिति सोनी, मनाली कस्तूरी, रूद्री शर्मा, संदाली सरूपरिया, मोनिका शर्मा, मीनाक्षी गोयल के चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। इन्होंने ख्यात चित्रकार आरके शर्मा के सानिध्य में कला को निखारा। प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में चित्रकार एलएल वर्मा, ललित शर्मा, रघुनाथ, सीपी चौधरी, राकेश, मयंक शर्मा, शर्मिला राठौड़, आयुषी सारंगदेवोत, संदीप पालीवाल, राजेश यादव, विजेंदर देवड़ा, सुनील निमावत मौजूद थे।