दूसरी ओर चिकित्सकों ने गैसजांच के लिए शवों का विसरा लेेकर विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाया है। इधर, पुलिस ने संबंधित ठेकेदार कंपनी के विरुद्ध बिना सुरक्षा उपकरण के सीवरेज में श्रमिकों के उतारने पर मानव अपराधिक वध की धारा के तहत मामला दर्ज किया।
सीवरेज लाइन में हुई मौतों के बाद दूसरे दिन मृतक बड़ी का खेड़ा विजयनगर (चित्तौडगढ़़) निवासी कानसिंह (22) पुत्र श्रवणसिंह पंवार, बिलोदा जालमपुरा शंभूपुरा (चित्तौडगढ़़़) निवासी प्रहलाद (24) पुत्र कालूलाल मीणा, कानेड़ा हमेरा (बांसवाड़ा) निवासी कैलाश (18) पुत्र लक्ष्मणलाल मीणा व नाल अलंकर कातनवाड़ा परसाद (उदयपुर) निवासी धर्मचन्द्र (23) पुत्र भैरूलाल मीणा के परिजन उदयपुर पहुंचे। परिजनों ने संबंधित ठेकेदार कंपनी पर लापरवाही का आरोप जड़ते हुए नाराजगी जताई। पुलिस ने परिजनों में समझाइश की। कंपनी के संचालक ने प्रत्येक मृतक के परिजनों को फिलहाल 4.50-4.50 लाख रुपए के मुआवजे व दाह संस्कार की राशि देकर शवों को उनके पैतृक गांव पहुंचाया। प्रशासन ने भी कमेटी की रिपोर्ट पर मृतक आश्रित परिवार को नियमानुसार मुआवजा देने का आश्वासन दिया।
मिट्टी-पानी के लिए साक्ष्य
जिला कलक्टर के आदेश पर एडीएम संजय कुमार के नेतृत्व में गठित कमेटी में शामिल नगर निगम के अधीक्षण अभियंता मुकेशचन्द्र पुजारी, विद्युत निगम अधीक्षण अभियंता गिरीश जोशी, सीएमएचओ दिनेश खराड़ी, फायर अधिकारी जलज घसिया व निगम के स्वास्थ्य अधिकारी नरेन्द्र श्रीमाली ने घटना के दूसरे दिन घटनास्थल का दौरा किया। अधिकारियों की मौजूदगी में ही एफएसएल टीम प्रभारी अभयप्रताप सिंह ने मिट्टी व पानी के नमूने लिए। गौरतलब है कि मनवाखेड़ा में बुधवार को सीवरेज लाइन में काम करते समय एक साथ चार श्रमिकों की मौत हो गई थी।
एफएसएल करेगी खुलासा निर्माण के बाद चैंबर दो माह से बंद था। आगे चैम्बर में लिकेज से श्रमिकों ने इसे खोला था। महज दो बाय दो फीट के ढके हुए हॉल से मजदूर गहराई में उतरे थे। कयास है कि गैस के संपर्क में आते ही मजदूर मूर्छित होकर पानी में गिर गए होंगे। अन्य श्रमिकों को पता चला तब तक उनकी सांसें भी थम चुकी थी। जांच में चैम्बर में टी-प्वाइंट होने के साथ ही गंदा पानी मिला था। एफएएसएल टीम पानी व मिट्टी के साथ ही विसरे की जांच करेगी। चिकित्सकों ने विसरे के जांच के लिए मृतकों के खून, फेफड़े व ब्रेन से कुछ हिस्सा सुरक्षित रखा है। विशेषज्ञों इस हादसे का कारण मिथेन गैस मान रहे हैं। उनका मानें तो मिथेन व हाइड्रोजन सल्फाइड ऐसी गैस है, जो प्राकृतिक रूप से बनती है। कई जगह कुएं खुले होने के बावजूद में भी मिथेन गैस से कई हादसे होते हैं, जबकि चैंबर तो बिल्कुल बंद था।
दर्ज की एफआईआर
घटना के दूसरे दिन धर्मचन्द्र के पिता भैरूलाल ने संबंधित ठेकेदार फर्म के खिलाफ मामला दर्ज कराया। परिवादी का कहना था कि चारों मृतक सीवरेज डालने वाली ठेकेदार कंपनी डी.आर.अग्रवाल व उसके अधीन कार्यरत प्रोजेक्ट्री बिल्ड होम के लिए काम करते थे। दोनों कंपनियों के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से बिना सुरक्षा उपकरण दिए चारों श्रमिकों को सीवरेज चैम्बर में काम करने के लिए उतार दिया। जिससे चारों की मृत्यु हो गई।