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परागण से कृषि उत्पादन बढ़ाने में कीटों का महत्व

locationउदयपुरPublished: Jan 29, 2020 01:44:42 am

Submitted by:

surendra rao

दो दिवसीय कार्यशाला मंगलवार से एमपीयूएटी में शुरू

workshop starts at MPUAT

परागण से कृषि उत्पादन बढ़ाने में कीटों का महत्व

उदयपुर. राजस्थान कृषि महाविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग की ओर से संस्थागत विकास परियोजना, (राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना) के अधीन ‘कीट व्यक्तित्व-जैव विविधता एवं व्यवहारिकताÓ पर दो दिवसीय कार्यशाला मंगलवार से एमपीयूएटी में शुरू हुई। मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर एन.एस. राठौड़, विशिष्ट अतिथि अधिष्ठाता डॉ. अरुणाभ जोशी, निदेशक अनुसंधान डॉ. अभय मेहता, डॉ. एस. के. शर्मा क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान आदि थे। कार्यशाला में 55 स्नातक विद्यार्थी एवं 20 सहायक एवं सह-आचार्य हिस्सा ले रहे हैं। डॉ. आर. स्वामीनाथन ने लाभदायक एवं हानिकारक कीटों के बारे में चर्चा की। प्रो. राठौड़ ने कीटों का जन्तु जगत में महत्व, आधुनिक तकनीक द्वारा कीटों की निगरानी एवं नवीन तकनीकों के बारे में बताया। डॉ. अरूणाभ जोशी ने जैव विविधता में कीटों के महत्व पर पर चर्चा की। सचिव डॉ. एन.एल. डांगी ने अतिथियों का अभिनन्दन किया।
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‘एचआईवी-एड्स की दृष्टि से उदयपुर संवेदनशीलÓ

उदयपुर. निरोगी राजस्थान अभियान के अन्तर्गत उदयपुर जोन तथा भीलवाड़ा जिले के हेल्थ एजुकेटर का एचआइवी-एड्स विषयक 2 दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को हुआ। वरिष्ठ चिकित्सकों व विशेषज्ञों ने इसे जन-जन का अभियान बनाने, व्यापक प्रचार-प्रसार व अधिकाधिक लोगों को जागरूक करने पर जोर दिया। सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी ने बताया कि विभिन्न नवाचारों से जनजागरूकता कार्य ग्राम स्तर तक पहुंचाया जाएगा। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. राघवेन्द्र राय ने इन रोगों के वायरस, लक्षण, फैलने के माध्यम व बचाव की जानकारी दी। राजस्थान स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की सहायक निदेशक पिंकी शेखावत ने कार्यशाला के उद्देश्य तथा टीम लीडर उमेश राउत्रे, डॉ. मनु मोदी ने भी विचार रखे।
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