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मिलिए उदयपुर के ‘कप्पू’ से, 81 बार स्वैच्छिक रक्तदान करने के साथ ही 25 हजार से ज्यादा लोगों को कर चुके है रक्तदान के लिए प्रेरित

locationउदयपुरPublished: Jun 14, 2018 01:20:53 pm

Submitted by:

Jyoti Jain

उदयपुर. झीलों की नगरी के बाशिन्दे रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू की सोच बिल्कुल जुदा है।

World Blood Donor Day, ravindrapal singh kappu blood donor udaipur

मिलिए उदयपुर के ‘कप्पू’ से, 81 बार स्वैच्छिक रक्तदान करने के साथ ही 25 हजार से ज्यादा लोगों को कर चुके है रक्तदान के लिए प्रेरित

उदयपुर. इस देश में रक्तदाताओं को कहीं मान-सम्मान भले ही नहीं मिलता हो, वो अपने इस अनूठे दान से एक बारगी चार लोगों की जिंदगी बचा सकते हैं। असल में एक यूनिट रक्त को चार भागों में बांटकर अलग-अलग मरीजों को उनकी जरूरत के मुताबिक चढ़ाया जा सकता है। कुछ लोग यह मानते हैं कि रक्तदान से कमजोरी आ जाती है। शायद इसी भ्रांति के चलते देश में लाखों लोग रक्तदान नहीं करते हैं, लेकिन झीलों की नगरी के बाशिन्दे रवीन्द्रपाल सिंह कप्पू की सोच बिल्कुल जुदा है।
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अटठारह वर्ष की उम्र में पहली बार अपनी मौसी के लिए रक्तदान के बाद से अब तक 36 वर्षों में कुल 81 बार स्वैच्छिक रक्तदान एवं 25 हजार से ज्यादा लोगों को इसके लिए प्रेरित कर चुके हैं। अपना जन्मदिन हो या शादी की सालगिरह या फिर हो कोई इमरजेंसी, कप्पू हमेशा इस काम में आगे रहते हैं। स्वलिखित पुस्तक ‘रक्तदान-महादान्य’ नि:शुल्क बांटकर आमजन को जागरूक कर रहे रवीन्द्रपाल चाहते हैं कि इस विषय को स्कूल-कॉलेजों के पाठ्यक्रम से जोड़ दिया जाए। इसके अलावा हर व्यक्ति के लिए इसे ड्राइविंग लाइसेंस या मतदाता-आधार कार्ड की तरह अनिवार्य कर दिया जाए तो देश में कहीं भी रक्त की कमी नहीं रहेगी।
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पचासों नि:शुल्क बीपी-शुगर कैंप के जरिये पांच हजार से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने वाले कप्पू काफी समय पूर्व मरणोपरान्त आंखें और देहदान का संकल्प भी ले चुके हैं। इसके अलावा गरीब बच्चों को शिक्षण सामग्री सहायता, चिकित्सा सुविधा व दवाएं, पौधरोपण और गर्मियों में प्याऊ लगाने जैसे सामाजिक सरोकारों से जुड़े कई कार्य भी वर्ष पर्यन्त करते रहते हैं। पिछले दो सालों से अपने जन्मदिन (25 जुलाई) को रक्तदान दिवस के रूप में ही मना कर इन्होंने एक नई मिसाल कायम की है।
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