डिजिटलाइजेशन व फ्यूमिगेशन से सहेजा है ग्रंथों को विश्वविद्यालय ने कई वर्षों तक कठिन परिश्रम कर प्राचीनतम सभ्यताओं के अवशेषों से सामग्री का संकलन किया है। इसके तहत वैदिक ज्ञान- विज्ञान पर आधारित दुर्लभ पांडुलिपियों, अति प्राचीन दुर्लभ ग्रंथों को फ्यूमिगेशन चेम्बर और डिजिटलाइजेशन के जरिए हमेशा के लिए सुरक्षित किया गया है ताकि भावी पीढिय़ां वैदिक ज्ञान, विज्ञान के महत्व, भारतीय भाषाओं की समृद्धता व प्राचीन सभ्यताओं का सुगमता से अध्ययन कर सके।
विद्यापीठ वह जगह भी है, जहां कर्नल जेम्स टॉड ने चार साल (1818 से 1822 ) बैठकर इतिहास लिखा था। डबोक स्थित उस भवन को कर्नल टॉड भवन के नाम से ही जाना जाता है। यह भवन आज भी किसी धरोहर से कम नहीं है। इसके अलावा विद्यापीठ के संग्रहालय में विभिन्न जगहों की खुदाई में मिले देश की हजारों साल पुरानी प्राचीन सभ्यताओं के औजार, मिट्टी के बर्तन, हाथी के दांत, टेरेकोटा की चूडिय़ां, तीर, रॉक कला के चित्र आदि हैं, जो मानव समाज के विकास की कहानी कह रहे हैं।