‘शहर की भीड़ से गुजरते हुए, कहीं किसी तंग गली में, देख बच्चों का हुड़दंग, बरबस लौट आता है स्मृति पटल पर भूला बिसरा मेरा बचपन… किसी रचनाकार की ये पंक्तियां उस वक्त अनायास हर किसी के जेहन में ताजा हुई जब नन्हे-मुन्ने बच्चों को इंटरनेट, मोबाइल और कंप्यूटर के मकडज़ाल से परे कंचे, लट्टू, सितोलिया, गिल्ली-डंडा और रुमाल झपट्टा जैसे पारम्परिक खेल खेलते देखा।
READ MORE: #padmavati controversy: मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार ने पद्मावती फिल्म को लेकर जताई आपत्ति, केंद्र सरकार और सेंसर बोर्ड को लिखा पत्र सवीना स्थित तारा संस्थान के शिखर भार्गव पब्लिक स्कूल प्रांगण में सोमवार की सुबह बच्चों के लिए यादगार बन गई। इस मौके पर कमलेश, ईश्वर ओवेश और कुशाल ने कंचों के निशानों और लट्टू नचाकर तो किरण, रितिका, अक्षा, अंजलि और सरस्वती ने चिप्पस के खेल की दुनिया सजाकर बचपन साकार किया। इसी तरह, डिम्पलेश, खुशवंत, देवेन्द्र, करण, उभयेश्वर ने पुराने टायर दौड़ाकर और कलाबाजियों से नन्हें-मुन्नों में ऊर्जा का संचार किया।
कार्यक्रम के दौरान लड्डू काटकर दो बच्चों का जन्मदिन भी मनाया गया। अंत में खेलों में प्रतिभागी बच्चों सहित सभी बच्चों को पुरस्कार दिए गए। इस मौके पर ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी वीरेन्द्र यादव, रोटरी क्लब पूर्व गर्वनर निर्मल सिंघवी, समाज कल्याण विभाग उप निदेशक गिरीश भटनागर, प्रवीण पानेरी, तारा नेत्रालय संस्थापक व अध्यक्ष कल्पना गोयल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी दीपेश मित्तल के अलावा राजस्थान पत्रिका उदयपुर के संपादकीय प्रभारी आशीष जोशी भी मौजूद थे।