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विश्व टाइगर दिवस : बहुत बदल गए रणथंभौर से आए ‘उस्ताद,’ ‘राम’ आवाज लगाता तो भी चले आते

locationउदयपुरPublished: Jul 29, 2021 09:48:12 am

Submitted by:

Mukesh Hingar

World Tiger Day – 9 साल में उदयपुर आया टाइगर टी-24 अब 15 साल का हो गया

Tiger T-24

Tiger T-24

मुकेश हिंगड़

उदयपुर. World Tiger Day रणथंभौर से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क में बसा टाइगर टी-24 TIGER-24 के स्वभाव में बहुत परिवर्तन आया। इंसानों को देखकर आक्रामक रहने वाला टाइगर भले ही बाड़े में है, लेकिन उसके नजदीक इंसानों ( स्टाफ) का आन-जाना रहता है लेकिन वह अब सामान्य है। उसके पास ‘राम’ नाम से जुड़े दो केयरटेकर जैसे ही उसे आवाज लगाते हंै तो वह समझ जाता है। शुरू में जब उसे लाया गया तब उसके बाड़े से दूर किसी की आवाजाही का उसे अहसास होते ही वह दहाडऩे लगता था, लेकिन अब तो ‘उस्ताद’ बहुत बदल गया है। बदले भी क्यों नहीं बायो पार्क में रहते-रहते उसकी उम्र भी अब करीब 15 साल हो गई है, जब उसे लाए थे तब वह 9 साल का था।
टाइगर टी-24 (USTAD) को यहां पूरी स्वतंत्रता दे रखी है, उसके लिए पिंजरे बने हैं और खुला बाड़ा भी है। वह अपने मन का राजा है, जहां रहे वहां रहता है, लेकिन जब खाने का समय होता है तब उसको मुख्य केयरटेकर रामसिंह आवाज लगाता है तो वह समझ जाता है और खाने के नजदीक पहुंच जाता है। कब्ज के चलते टाइगर की जब से तबीयत बिगड़ी तब से उसके खाने का मैनू भी डॉक्टरों ने बनाया। उसी के अनुसार दिया जाता है। उसे कीमो दिया जाता है, जिसमें कद्दू व पपीता के साथ सूप दिया जाता है।
रामू की आवाज के साथ ही वह कुंडी में परोसा गया भोजन कर लेता है। उसकी बीमारी के चलते दवा भी चल रही है, जो उसी भोजन में दी जाती है। ‘उस्ताद’ के नजदीक रामू बहुत रहा है और अब एक सहायक केयरटेकर मानाराम भी कुछ समय पहले लगा, लेकिन उसे भी टाइगर जानने लगा। जब ‘उस्ताद’ पहली बार आया तब और आज में रात-दिन का फर्क केयरटेकर को भी दिखने को मिला। इंसानों को देखते हुए उसके हाव भाव इतने आक्रामक होते थे कि वह हमला करने पर उतारू रहता था, लेकिन अब केयरटेकर से लेकर चिकित्सालय के डॉ. हंस जैन के नेतृत्व में स्टाफ भी आता है, लेकिन इंसानों के प्रति पहले जैसा गुस्सा अब नहीं दिखता है, यह जरूर है कि कोई नया चेहरा सामने आ जाए तो उसके हाव भाव अलग ही होंगे। डीएफओ अजीत ऊंचाई बताते हैं कि अभी वह स्वस्थ है।
‘उस्ताद’ और बायो पार्क

– रणथंभौर से 16 मई 2015 को लाए ‘उस्ताद’
– ‘उस्ताद’ का 4 दिसम्बर, 2015 को बीमारी से ऑपरेशन हुआ
– चैन्नई से सफेद बाघ रामा भी यहां लाया गया था, जिसकी 2018 में मौत हो गई।
– जनवरी, 2020 में बाघिन दामिनी को नर बाघ कुमार ने हमला कर मार दिया।
– टाइगर पिलीकुई से कुमार व चैन्नई से विद्या को लेकर आए, जो यहां अभी डिस्पले एरिया में है
Tiger T-24
बाघ का जोड़ा लाने की भी तैयारी

वन विभाग बायो पार्क में बाघ का और जोड़ा लाने की तैयारी में लगा है। इस प्रस्ताव को लेकर काम चल रहा है। दूसरी तरफ राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ में टाइगर रिर्जव घोषित करने पर भी कदम आगे बढ़े हैं। इसके लिए राष्ट्रीय व्याघ्र प्राधिकरण ने एक्सपट्र्स की एक कमेटी तैयार कर दी है, जो अब इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।
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