शक्ति व भक्ति की धरा मेवाड़ के ह्रदय स्थल उदयपुर में 100 करोड़ की लागत से प्रताप गौरव केन्द्र राष्ट्रीय तीर्थ का निर्माण किया गया है। यहां पर प्रताप व मेवाड़ के प्रेरणादायी प्रसंगों का जीवंत दिग्दर्शन होता है। यहां मेवाड़ व भारत के इतिहास पर दो फिल्म (प्रति फिल्म 30 मिनट), मेवाड़ दर्शन पर 9 जीवंत मैकेनिकल मॉडल दीर्घा (50 मिनट), भारत दर्शन पर लाइट एंड साउंड कार्यक्रम (20 मिनट), हल्दीघाटी युद्ध की रोमांचक गाथा, मेवाड़ के महापुरुषों पर दीर्घा, महाराणा प्रताप पर भव्य चित्र प्रदर्शनी, राजस्थानी गौरव दीर्घा है। वहीं, महाराणा प्रताप की 57 फीट ऊंची धातु की प्रतिमा यहां का खास आकर्षण है। इसके अलावा भारत माता की 12 फीट ऊंची धातु की प्रतिमा है।
दूरी- शहर से 5 किमी. दूर
अम्बेरी में165 हैक्टेयर भूमि पर फैले जैव विविधता की दृष्टि से समृद्ध इस पार्क में 63 वृक्ष प्रजातियां, 30 झाडिय़ा, 37 लताएं, 117 शाक, 38 घास, 3 परजीवी सहित 2 टेरिडोफाइट्स की प्रजातियों में चंदन, गूगल व कड़ाया जैसी दुर्लभ प्रजातियां एवं कई फलदार एवं औषधीय वनस्पति मौजूद है। यहां पैंथर सेही, लोमड़ी, सियार, जरख तथा सरिसर्प एवं पक्षियों की कई प्रजातियां हैैंैं।
दूरी- शहर से 8 किमी. दूर
यह नया उद्यान है बड़ी तालाब के किनारे स्थित इकोटोन पार्क। यहां 5 व्यू पॉइंट, 10 प्लेटफार्म हैं। दो प्ले टफार्म पर छतरियां बनाई गई हैं। यहां कैफे टेरिया व गार्डन भी है। इस पार्क में पर्यटक वनस्पति व वन्यजीवों से रूबरू होते हैं। पार्क में दो हजार किस्म के औषधि पादपों के अलावा बोगेनविलिया की पांच सौ बेलें लगाई जा रही हैं। इसमें वन विभाग की नर्सरी भी बनाई जा रही है जिसकी खासियत यह है कि औषधि पादप अरीठा, हरड़, अर्जुन, रूद्राक्ष, हवन, एलोविरा, अश्वगंधा आदि के अलावा राशि-नक्षत्र पादप भी लगाए जा रहे हैं।
दूरी- शहर से10 किमी.
उदयपुर में कहीं अगर बादलों को जमीन पर उतरते हुए देखना हो तो इसके लिए पिपलिया गांव सबसे फेवरेट डेस्टिनेशन है। वैसे तो प्रकृति की गोद में बसे और ऊंची-नीची ढलानों वाली यहां की सडक़ें और हरियाली यहां लोगों को स्वत: ही खींच लाती हैं लेकिन मानसून में ये जगह किसी हिल स्टेशन सा एहसास कराती है। मानसून शुरू होते ही यहां बादलों का डेरा लग जाता है। पर्यटक व युवा यहां प्रकृति का भरपूर आनंद लेने के लिए यहां पहुंचते हैं। ये भी शहर के एक पॉपुलर डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाने लगा है।
दूरी- शहर से 25 किमी.
अम्बेरी पंचायत में पुरोहितों का तालाब है जो मिनी जयसमन्द के नाम से भी जाना जाता है। यह उदयपुर के नए डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां यूआईटी व वनविभाग की ओर से कार्य किए जा रहे हैं। वन विभाग यहां जैव विविधता पार्क बना रहा है तो वहीं यूआईटी ने यहां पाल व छतरियों का रंग-रोगन व जीर्णोद्धार किया । यहां पार्क का निर्माण भी करा दिया गया है। इस जगह की विशेषता यह है कि यहां मछलिया नहीं पकड़ी जाती हैं और ना ही इसका ठेका होता है।
दूरी - करीब 12 किलोमीटर
उदयपुर के समीप चीरवा घाटा क्षेत्र में नगर वन उद्यान फूलों की घाटी का लोकार्पण 3 अगस्त को किया गया है। यह नया पर्यटन स्थल वन क्षेत्र अम्बेरी में 80 हैक्टेयर भू भाग पर पूर्व में चीरवा घाटे से गुजरती 3400 मीटर लम्बाई पर विकसित किया गया है। यहां मुख्य आकर्षण जिप लाइन है जो 375 मीटर लम्बाई की स्थापित की गई है। यह कैफेटेरिया छोर से गोरेला व्यू प्वाइंट तक स्थापित की गई है जो गहरी खाई से गुजरने का रोमांच देती है। इसके अलावा यहां नेचर टे्रल, हिल साइकल सवारी, केफेटेरिया, चार स्थानों पर नेचर व्यू प्वाइंट, मध्य में इन्टरप्रिटेशन सेंटर, पुराने दरवाजे को हेरिटेज संरक्षण का रूप देते हुए पुनरुद्धार किया गया है।
दूरी- शहर से 9 किमी.
शहर के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए इस फिश एक्वेरियम में 150 टैंकों में 16 देशों से लाई गई 216 प्रकार की मछलियांं हैंं । एक्वेरियम में एक अनूठा मछलियों का संसार है, जहां तरह-तरह की मछलियां हैं। शहरवासियों के लिए यह एक नया आकर्षण है। एक्वेरियम में करीब 150 प्रकार की मछलियों को डिस्प्ले किया गया है। एक्वेरियम में जो मछलियं होगी उसमें विदेशी प्रजातियां भी हैं। रंगीन मछलियों से भरे एक्वेरियम में एक आभासी (वर्चुअल) दुनिया का एहसास होता है।
दूरी- शहर के मध्य