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इस बस्ती में जंगली तरीका अपनाओगे तो मिलेगा पानी

locationउदयपुरPublished: Sep 22, 2019 02:35:50 am

Submitted by:

Pankaj

जयसमंद झील के आसपास की बस्तियों में पेयजल बंदोबस्त नहीं, भीलबस्ती मैथूड़ी के ग्रामीण नदी में वीरीयां (खड्ढा) बनाकर पीते पाीन, दिनभर पानी के बंदोबस्त में जुटे रहते हैं परिवार

You will get water if you adopt wild methods

इस बस्ती में जंगली तरीका अपनाओगे तो मिलेगा पानी

शंकर पटेल/गींगला . जयसमंद झील उदयपुर शहर की प्यास बुझाने का बड़ा स्रोत है, लेकिन आसपास की बस्तियों के लिए अनुपयोगी है। यों कहें कि आसपास की बस्तियों के घर-आंगन में सागर भरा है, फिर भी कण्ठ प्यासे ही हैं। बस्तियों के परिवार पेटा क्षेत्र में वीरी (खड्ढा) खोदकर पेयजल का बंदोबस्त करने को मजबूर है। बच्चे दिनभर वीरी से पानी लेने की जुगत में जुटे रहते हैं।
जयसमंद कैचमेंट एरिया के 72 गांवों में पेयजल संकट रहता है। इन दिनों बरसात से काफी जगह राहत मिली है, लेकिन मैथूड़ी भील बस्ती के लोगों को पानी नदी में गड्ढे (वीरी) खोद कर लाना पड़ रहा है। मैथूड़ी और राजपूत बस्ती में पेयजल योजना नहीं है, जबकि यहां करीब 250 घरों की आबादी है। प्रतिदिन यहां के ग्रामीणों को पेयजल के जुगाड़ की चिंता रहती है। सुबह, दोपहर, शाम, किसी भी समय हो, जैसे-जैसे परिवार का कोई सदस्य कार्य से मुक्त होता है, बर्तन उठाकर आधा किमी दूर नदी पहुंच जाता है। घंटों इंतजार के बाद बर्तन भर कर पानी लाते है, तब कहीं जाकर पेयजल का बंदोबस्त हो पाता है।
यूं अपनाते पारंपरिक तरीका
नदी किनारे हाथ से ही रेत को कुरेद कर खड्ढा बनाते हैं। पानी रिसता हुआ खड्ढे में जमा होने लगता है। शुरुआत में बेहद मटमैला पानी आता है, जिसे छोटे बर्तन से निकाल फेंकते हैं। कुछ देर इंतजार में थोड़ा साफ पानी आने पर थोड़ा-थोड़ा पानी बड़े बर्तन में जमा करते हैं। यह जंगली तरीका उन मुश्किल हालातों में काम का है, जहां जंगल में भटक गए हों और पानी का कोई बंदोबस्त नहीं हो।
पढ़ाई से बड़ी जिम्मेदारी पानी की
वीरियों से पानी लाने के लिए परिवार के सभी लोग जुटते हैं। इसमें बच्चों की भी बड़ी भूमिका रहती है। बच्चे स्कूल की छुट्टी होने के बाद तुरंत पानी के बंदोबस्त में जुट जाते हैं। दोपहर से शाम तक यही क्रम चलता रहता है। पूरा गांव नदी पर उमड़ पड़ता है। ज्यादा संख्या होने पर कई बार घंटों इंतजार के बाद पेयजल बंदोबस्त हो पाता है।
गांव का हैण्डपंप खराब
मैथूड़ी ग्राम पंचायत क्षेत्र के करीब-करीब सभी गांवों में हैण्डपंपों में खारा, खराब पानी आता है, जो पीने योग्य नहीं है। ऐसे में उनके लिए वीरियां ही पेयजल का स्रोत है। कई परिवार जयसमंद रूण में भरा पानी केन, ड्रम, बर्तन भरकर मशक्कत के बाद घर लाते हैं।
पहले फैल चुकी बीमारियां
गत दिनों भीलबस्ती में एक साथ कई लोग बीमार हुए थे। बच्चों के गले सूजने की बीमारी होने लगी। ग्रामीण भयभी हो गए थे। चिकित्सा विभाग ने उपचार किया, लेकिन प्रशासन की ओर से पेयजल बंदोबस्त नहीं हो पाया। चिकित्सा विभाग ने दूषित जल ही बीमारी की वजह बताया था।
गांव में पानी की स्थाई सुविधा नहीं है। नदी में वीरियां बनाकर पानी लाते हैं, जिसमें काफी समय लगता है। दूषित जल से बीमार भी होते हैं। सरकार इस ओर ध्यान देकर जल योजना लाए तो राहत मिले।
रेखा बाई भील, वार्डपंच, भीलबस्ती
हमने पूर्व में 84 लाख की लागत से मैथूड़ी, राजपूत बस्ती, भीलबस्ती क्षेत्र को जोडऩे के लिए प्रस्ताव भेजा, लेकिन स्वीकृत नहीं हुआ। क्षेत्र में हैण्डपंपों में खारा पानी आता है। भील बस्ती में हैण्डपंप लगाए हैं। स्थाई समाधान के लिए फिर से सरकार से गुहार करेंगे।
यशवंत त्रिवेदी, उपसरपंच, मैथूड़ी

पूर्व सरकार में प्रस्ताव भिजावाया था, लेकिन जयसमंद में पानी स्टोरेज के कारण स्वीकृत नहीं हो पाया। अब जलशक्ति अभियान के तहत 72 गांवों को जल येाजना से जोडऩे के तहत इसे भी शामिल करवाने का पूरा प्रयास रहेगा।
अमृतलाल मीणा, विधायक, सलूम्बर
भील बस्ती मैथूड़ी क्षेत्र में हैण्डपंपों में ब्लीचिंग करवाई है। जेईएन से और जानकारी करवाता हूं। जल योजना का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है। अब फिर से प्रस्ताव भिजवाए जाएंगे।

अरविन्द व्यास, एइएन, पीएचइडी सलूम्बर
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