तीन महीने के अभ्यास में मानसिक व शारीरिक तौर पर तैयार हुए कोरोना काल में घर बैठे-बैठे चार दोस्त प्रशांत कुमावत, यश जैन, अभय शर्मा और रौनक जैन ने तय किया कि कोरोना का प्रभाव कम होने पर एक ऐसे मिशन के लिए निकलना है जो किसी चुनौती से कम न हो। हालांकि तीन महीने के लगातार अभ्यास के बाद इन चारों दोस्तों ने खुद को इसके लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया। वे बताते हैं कि केदारकंठ शिखर पर तिरंगा फहराने की यह यात्रा 24 दिसम्बर को आरंभ हुई, जो मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों के साथ 1 जनवरी को माइनस 16 डिग्री के तापमान और पूरी तरह से विपरीत परिस्थितियों से दो-दो हाथ करते हुए समाप्त हुई। चारों दोस्तों ने बताया कि यदि वे नियमित अभ्यास करते रहे और दृढ़ इच्छा शक्ति रही तो लद्दाख में भी तिरंगा फ हराने जाएंगे।
वे बताते हैं कि पर्वतारोहण एक खतरनाक खेल है, जिसे किसी भी परिस्थिति में नकारा नहीं जा सकता। जरा सी चूक जीवन के लिए खतरा बन जाती है। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे वे ऊंचाई पर चढ़ते गए वैसे-वैसे हवा और अधिक कठोर होती गई तथा ऑक्सीजन की कमी के कारण सांस लेना मुश्किल होने लगा, लेकिन मन में देश प्रेम का जज्बा हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। बस, इसी सोच से चारों ने विपरीत हालात में भी आगे बढ़ते हुए चोटी पर पहुंच तिरंगा फहराया दिया।