ये मिलती है ग्रेड, मप्र में सभी को सी
नैक द्वारा कॉलेजों को ए प्लस, ए, बी प्लस, बी व सी ग्रेड दी जाती है। सीजीपीए के आधार पर ये ग्रेडिंग दी जाती है। मप्र में जबलपुर शा. कॉलेज को छोड़कर सभी कॉलेजों को सी ग्रेड ही मिली है।
रखरखाव व खरीदी पर लाखों रुपए किए खर्च
नैक टीम के दौरे से पूर्व कॉलेज भवन के रखरखाव, गांधी हॉल की एेतिहासिकता में सुधार लाने, रंगाई-पुताई, फर्नीचर खरीदने व अन्य स्थितियों को सुधारने में कॉलेज प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च किए। ये फंड नैक की तैयारियों के लिए ही आया था। लेकिन इसके बावजूद भी कॉलेज को बेहतर ग्रेड हासिल नहीं हो सकी। हालांकि इन कार्यों से विद्यार्थियों को आने वाले समय तक सुविधाएं जरूर मिलेगी।
ये बड़ी कमियां, जिनके कारण उच्च ग्रेड नहीं
– कॉलेज में स्मार्ट क्लास रूम दिखाए गए, लेकिन ये वास्तविकता में स्मार्ट नहीं थे।
– कॉलेज के शैक्षणिक, अकादमिक व रचनात्मक स्तर पर कोई नवाचार नहीं मिला।
– स्टॉफ तो उच्च शिक्षित व पर्याप्त है लेकिन इनके होने से कुछ अलग कॉलेज में नहीं।
– एेतिहासिक भवन होने से यह काफी पुराना, इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर भी नंबर कटे।
– विद्यार्थियों की संख्या अच्छी है, लेकिन नियमित उपस्थिति व गुणवत्ता सुधार में कमजोरी।
– अध्यापन के ढर्रे में कोई एेसा कार्य नहीं, जो उल्लेखनीय हो।
– कॉलेज में संचालित विभागों के निरीक्षण में टीम ने संतोषप्रद टीप नहीं दी।
– कॉलेज में इ लाइब्रेरी संचालित नहीं है, जबकि नैक के मापदंड पर यह जरूरी है।
इनका कहना
हमने हर स्तर पर संपूर्ण दिखाने व मापदंडों पर खरा उतरने का प्रयास किया। कुछ विभागों में व्यवस्थाएं बेहतर नहीं मिलने, इंफ्रास्ट्रक्टर पुराना होने सहित अन्य आधुनिकताओं को लेकर हमें कम नंबर मिले। अगले साल के दौरे से पहले और कमियों को पूरा करेंगे। ताकी कॉलेज को बेहतर ग्रेडिंग मिल सके।
डॉ. मंसूर खान, प्राचार्य, शा. माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय