30 किताब का चक्कर, 65 हजार घनचक्कर
उज्जैनPublished: Oct 14, 2019 07:09:46 pm
जून में बदला था 30 विषयों का पाठ्यक्रम, चार माह बाद भी कॉलेजों में नहीं पहुंचीं किताबें
जून में बदला था 30 विषयों का पाठ्यक्रम, चार माह बाद भी कॉलेजों में नहीं पहुंचीं किताबें
उज्जैन. उच्च शिक्षा के लगभग स्नातक स्तर के 30 विषयों के पाठ्यक्रम में इसलिए बदलाव किया गया था कि विद्यार्थियों को यूपीएससी और पीएससी परीक्षाओं की तैयारी करने में स्नातक प्रथम वर्ष से ही मदद मिल सके। इसमें टॉपिक को लॉजिकल बनाने का दावा किया गया, ताकि स्नातक में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को आइएएस व आइपीएस की तैयारी करने में मदद मिलेगी। फिलहाल एेसा तो हो नहीं रहा है। दरअसल बदले गए पाठ्यक्रमों की किताबें न बाजार में हैं और न कॉलेजों में। किताबों के लिए करीब 65 हजार छात्रों के साथ उनके अभिभावक भी परेशान हैं।
पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए सभी कॉलेजों के विषय विशेषज्ञ या विभाग के एचओडी को नया पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए कहा गया था। इसमें उच्च शिक्षा विभाग ने यह बात साफ की थी कि नया पाठ्यक्रम इस तरह का बनाया जाए, जिससे विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिल सके। केंद्रीय अध्ययन मंडल ने स्नातक स्तर के 30 विषयों पाठ्यक्रम में बदलाव किया था। छात्र और प्रोफेसर इस दुविधा में थे कि पाठ्यक्रम में बदलाव इसी सत्र में होगा या फिर अगले सत्र में। इस बीच आधी तैयारी के साथ में बदलाव का आदेश जारी हुआ है। पाठ्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया में देरी के साथ परिवर्तित पाठ्यक्रम की किताबें उपलब्ध नहीं होने का नुकसान अब विद्यार्थियों को पढ़ाई में भुगतना पड़ रहा है। कॉलेजों में प्रवेश की प्रकिया पूर्ण हो चुकी है। नए सत्र की कक्षाएं भी शुरू हो चुकी हैं। अब जाकर विद्यार्थियों को सूचना मिली कि पाठ्यक्रम में बदलाव हुआ है। नई किताबें छपकर आने में अभी भी करीब एक महीने से अधिक समय लग सकता है।
खास परेशानी प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को
पाठ्यक्रम दस साल बाद बदला गया है। इसमें विभाग ने हर साल के हिसाब से पांचों यूनिट को तैयार किया है। मंडलों ने यूपीएससी के सिलेबस के काफी अंश तीन सालों के 25 सिलेबस में शामिल किए हैं। नया पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 से लागू किया गया है। इस साल एडमिशन लेने वाले विद्यार्थी 2020-21 और 2021-22 में भी बदला हुआ पाठ्यक्रम पढ़ेंगे। वर्तमान में सेकंड और थर्ड ईयर में विद्यार्थी पुराना सिलेबस ही पढ़ेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि सभी विषयों में 20 फीसदी बदलाव किया गया है। इसमें समाजशास्त्र, रसायनशास्त्र, इतिहास, भौतिक शास्त्र, गणित, अंग्रेजी ( साहित्य), प्राणी शास्त्र, हिन्दी (साहित्य), भूगोल, राजनीति शास्त्र, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र, सांख्यिकी, दर्शन शास्त्र, संस्कृत (साहित्य), मैनेजमेंट, जियोलॉजी, वनस्पति शास्त्र, मनोविज्ञान, पर्यावरण विज्ञान, सैन्य विज्ञान, समाज कार्य, उर्दू वाणिज्य, आधार पाठयक्रम के पाठ्यक्रम बदलाव किया गया है। इसमें सबसे अधिक परेशानी सभी संकाय के प्रथम वर्ष विद्यार्थियों को आधार पाठ्यक्रम की किताबों को लेकर है। उच्चशिक्षा विभाग ने इसके पाठ्यक्रम में बदलाव किया और इसकी किताबें उपलब्ध नहीं है। कॉलेजों की लाइब्रेरी में किताबें नहीं पहुंची है और न निजी बुक सेलर्स के पास।
शुरुआत ही देर से की
पाठ्यक्रमों में बदलाव की प्रक्रिया अप्रैल में होना थी, लेकिन आचार संहिता और अन्य वजह से देरी हुई। पाठ्यक्रम को लेकर विशेषज्ञों की कमेटी की बैठक के बाद भी विभाग ने निर्णय लेने में देरी की। इसके साथ ही लगभग 30 विषयों की किताबें मप्र हिंदी ग्रंथ अकादमी से तैयार करने का निर्णय भी देर से लिया गया। ऐसे में पाठ्यक्रम बदलने से हिंदी ग्रंथ अकादमी को किताबें तैयार करने में समय लग रहा है। इतनी किताबों के प्रकाशन में हिंदी ग्रंथ अकादमी को कम से कम दो से तीन माह का समय चाहिए था, लेकिन आदेश देरी से मिलने की वजह से किताबों को छापने का कार्य भी विलंब से प्रारंभ हुआ। इसमें सत्र के तीन माह गुजर चुके हैं।
पाठ्यक्रम नहीं उपलब्ध होने ये आ रही अड़चन
-संभाग के कॉलेज में पारंपरिक कोर्स चल रहे हैं।
– फैकल्टी भी परेशान हैं, किताबें नहीं हैं तो विद्यार्थियों को कैसे पढ़ाएं और खुद कैसे पढ़ें।
– नए कोर्स की किताबें छापने में समय चाहिए, तो कॉलेजों में पढ़ाने वाले रीडर-प्रोफेसरों को भी नया कोर्स समझने में समय चाहिए।
– विजिटिंग फैकल्टी को सबसे ज्यादा मुश्किलें आ रही हैं।
– कॉलेजों में सिलेबस को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
– विशेषज्ञ छात्रों को कोर्स के बारे में समझा नहीं पा रहे हैं।
-कॉलेजों में शिक्षक अलग-अलग किताबों के नोट्स की मदद से यूनिट बनाकर अध्यापन करा रहे हैं।
अधिकारियों से चर्चा करेंगे
संभागभर के लीड कॉलेजों से किताबों के संबंध में जानकारी लेकर परेशानी का निराकरण किया जाएगा। इसके लिए उच्चशिक्षा विभाग के अधिकारियों से भी चर्चा करेंगे।
आरसी जाटवा, अतिरिक्त संचालक, उच्चशिक्षा उज्जैन संभाग
अनुरोध करेंगे
किताबों के कारण पढ़ाई प्रभावित नहीं हो, इसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर मप्र हिन्दी ग्रंथ अकादमी से संपर्क कर जल्द किताबें उपलब्ध कराने का अनुरोध किया जाएगा।
डीएम कुमावत, निदेशक महाविद्यालय विकास परिषद विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन