scriptआयुर्वेद पर 35 फीसदी लोगों का बढ़ा विश्वास…एलोपैथी से दूरी | 35 people have increased faith in Ayurveda... distance from allopathy | Patrika News

आयुर्वेद पर 35 फीसदी लोगों का बढ़ा विश्वास…एलोपैथी से दूरी

locationउज्जैनPublished: Jun 12, 2022 10:06:50 pm

कोरोना का साइड इफेक्ट: धन्वंतरि आयुर्वेद अस्पताल में पहले 250 मरीज पहुंचते थे इलाज कराने अब संख्या बढक़र 400 पहुंची , शहर में 250 आयुर्वेद डॉक्टर कर रहे हैं उपचार

35 people have increased faith in Ayurveda... distance from allopathy

कोरोना का साइड इफेक्ट: धन्वंतरि आयुर्वेद अस्पताल में पहले 250 मरीज पहुंचते थे इलाज कराने अब संख्या बढक़र 400 पहुंची , शहर में 250 आयुर्वेद डॉक्टर कर रहे हैं उपचार

उज्जैन। कोरोना संक्रमण के दौरान एलौपेथी इलाज में सामने आए साइड इफेक्ट के बाद अब ३५ फीसदी लोगों का झुकाव आयुर्वेद उपचार के प्रति बढा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि धन्वंतरि आयुर्वेद अस्पताल की ओपीडी में दो साल पहले २०० से २५० मरीज पहुंचते थे यह आंकड़ा बढक़र ४०० तक पहुंच गया है। इसके अलावा शहर में पिछले सालों में करीब २५० आयुर्वेद चिकित्सक निजी तौर पर लोगों का उपचार कर रहे हैं। आयुर्वेद के लेकर बढ़ी दिलचस्पी के पीछे उन जटिल बीमारियों का उपचार होना है जो एलोपैथी के मुश्किल माना जाता रहा है। आयुर्वेद अस्पताल में हार्ट अटैक, डायबिटिज, पैरालिसिस, माइग्रेन और पार्किसन जैसे गंभीर रोगों का सफलतम इलाज किया जा रहा है। वहीं गर्भवती महिलाओं की १०० फीसदी तक नार्मल डिलेवरी करवाई जा रही है। आयर्वुेद उपचार के प्रति लोगों में बढ़े विश्वास के पीछे डॉक्टरों का कहना है कि एक तो आयुर्वेद दवा से साइड इफेक्ट नहीं होता और दूसरा इसमें रोग का जड़ से इलाज होता है ।
आयुर्वेद में अब चूर्ण नहीं…टैबलेट और कैप्सुल मिलते
आयुर्वेद को लेकर एक समय वैद्य चूर्ण देते थे और उसे शहद या पानी में डालकर लेना होता था। लेकिन दवाईयों के पैटर्न में बदलाव आ गया है। कई मल्टीनेशनल कंपनियां आयुर्वेद दवाईयां बना रही है। यह कंपनियां एलोपैथी की तर्ज पर कैप्सुल व टैबलेट उपलब्ध करवा रही है। इससे इन दवाईयों को लेने में कोई दिक््रकत नहीं आ रही है। मरीज को भी लगता ही नहीं कि आयुर्वेद दवा ले रहे हैं। वहीं अब आयुर्वेद डॉक्टर बहुत जररुत होने पर ही परहेज करने का सुझाव दे रहे हैं।
स्वास्थ्य व्रत विभाग, इसमें स्वस्थ व्यक्ति को बता रहे कैसे रहे निरोग
चिमनगंजमंडी स्थित धन्वंतरि आयुर्वेद अस्पताल में विभिन्न रोगों के उपचार के लिए करीब आठ विभाग बने हुए है। इसमें कायचिकित्सा, पंचकर्म, शल्य, शालके (इनएटी), बाल रोग, चर्म रोग व स्वास्थ्यवृत विभाग। इनमं सर्दी-खांसी से लेकर पाइल्स, फिशुला, स्कीन सहित हड्डी, दंत, आंख, नस सहित अन्य रोगों का उपचार किया जा रहा है। यहां स्वास्थ्य व्रत विभाग स्वस्थ्य लोगों को निरोग रहने के टिप्स दिए जा रहे हैं। यानी यहां लोगों को काउंसलिंग की जाती है कि बीमारी न हो इसके लिए दिनचर्या कैसी हो, खान-पान क्या रखे और मौसम के अनुरुप खुद को परिवर्तन कर स्वस्थ रखने के बारे में बताया जा रहा है।
एलोपैथी की तकनीकी, उपचार सस्ता
आयुर्वेद के उपचार में एलोपैथी की तकनीक का भी उपयोग किया जा रहा है। धन्वंतरि आयुर्वेद अस्पताल के आरएमओ डॉ. हेमंत मालवीय का कहना है कि अस्पताल में आधुनिक पैथालौजी लैब, आइ व डेंटल केयर यूनिट, सोनोग्राफी, ब्लड जांच आदि की जा रही है। जिनकी दरें नो लॉस नो प्राफिट के आधार पर तय है। इन जांच के आधार पर उपचार के लिए आयुर्वेद की दवाइयां दी जा रही है। अस्पताल में करीब ४० डॉक्टर मरीजों को देख रहे हैं। जल्द ही यहॉ ऑपरेशन थियेटर भी खोल जा रहा है। डॉ. मालवीय का कहना है कि आयुर्वेद का इलाज एलौपेथी की तुलना में सस्ता है बल्की इसमें स्वस्थ होने की संभावना ज्यादा है।
इतने मरीजों का इलाज
सर्जरी- ६००
पंचकर्म- १२००
काय चिकित्सा- ३०००
चर्म रोग- ८००
महिला रोग- ९००

इनका कहना
कोरोना संक्रमण के बाद लोगों में आयुर्वेद के प्रति रूझान बढ़ा है। पहले ओपीडी में २००-२५० मरीज प्रतिदिन आते थे अब यह बढक़र ४०० हो गए हैं। आयुर्वेद के प्रति इसलिए भी विश्वास बढ़ा है कि इसमें साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। आयुर्वेद अस्पताल में डायबिटिज, पार्किसन, पैरालिसिस और सामान्य डिलेवरी जैसे मामले में बेहतर रिजल्ट आए हैं।
– डॉ. ओपी शर्मा, अधीक्षक, धन्वंतरि आयुर्वेद अस्पताल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो