मंदिर को धोकर पूजन-अर्चन किया जाएगा
ग्रहण के कारण महाकाल को ५ बजे होने वाला पूजन अपराह्न ४.३० बजे किया जाएगा। ग्रहण मोक्ष के बाद बाद मंदिर को धोकर पूजन-अर्चन किया जाएगा। सांध्यकालीन ६.३० बजे की आरती रात ९ बजे की जाएगी। मंगलनाथ के पुजारी दीप्तेश गुरु के अनुसार शाम की आरती ९ बजे, सिद्धवट में रात ८ बजे की शयन आरती रात ९ बजे प्रारंभ की जाएगी। इसी प्रकार चिंतामन गणेश,हरसिद्धि मंदिर में भी आरती ९ बजे की जाएगी।
उज्जैन में नजर आएगा चंद्रग्रहण
जीवाजी वेधशाला में अधीक्षक राजेंद्रप्रकाश गुप्ता ने बताया कि ३१ जनवरी को पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। यह शाम ५.१८ से रात ८.४२ चलेगा। इस दिन उज्जैन में चंद्रोदय शाम ६.०८ के बाद से चंद्रग्रहण नजर आएगा।
चंद्रमा नारंगी रंग का दिखाई देगा
आगामी 31 जनवरी को पूर्णिमा के दिन चंद्रमा नारंगी रंग का दिखाई देगा। यानी 10 दिन बाद चांद अपना रंग बदलेगा। इस दिन चंद्रग्रहण है। जीवाजी वेधशाला अधीक्षक डॉ. आरपी गुप्त के मुताबिक इसे (ब्लड मून) के नाम से पहचाना जाएगा। बता दें, कि खगोलिय घटना को देखने के लिए नागदा से सैकड़ों की संख्या में लोग उज्जैन जीवाजी वेधशाला पहुंचते हैं।
क्या है ब्लड मून की खास बात
ब्लड मून की खास बात यह है, कि यह सुपर मून की श्रेणी में शामिल है। जो सामान्य दिनों की तुलना में 14 प्रतिशत बड़ा और 30 प्रतिशत अधिक चमकदार होगा। 31 जनवरी के बाद पूरे वर्ष चंद्रमा का आकार बड़ा नहीं होगा।
35 साल बाद बन रहा संयोग
लगभग 35 साल के बाद टोटल लूनर इकलिप्स (पूर्ण चंद्रग्रहण) और ब्लू मून एक साथ आ रहे हैं। 35 वर्ष पूर्व 30 दिसंबर 1982 को उक्त खगोलीय घटना एक साथ घटी थी। इस दौरान ग्रहण के साथ चंद्रमा का रंग बदला हुआ देखा गया था। ग्रहण उज्जैन के साथ पूरे भारत में दिखाई देगा। भोपाल मौसम विभाग फोरकास्टिंग के अनुसार उज्जैन व नागदा में ग्रहण रस्टी ओरेंज (गहरा संतरे रंग) जैसा दिखाई देने के साथ 77 मिनट तक रहेगा। विशेषज्ञों के अनुसार ब्लड मून 2028 व 31 जनवरी 2037 को फिर दिखाई देगा।
बारिश नहीं तो दिखेगी उल्का बौछार
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार आगामी अगस्त में बारिश बाधा नहीं बनी तो 12 व 13 अगस्त 2018 की मध्य रात को परसिड मेटियोर शॉवर (उल्का बौछार) में प्रति मिनट 60 सेंकड उल्का बौछार हो सकती है। इसी क्रम में आगामी 13 व 14 दिसंबर 2018 की रात प्रति मिनट 120 जेमिनड मेटियोर शॉवर दिखाई देगा। दिसंबर के दूसरे पखवाड़े को दो धूमकेतू भी देखे जा सकेंगे। जिसे टेलीस्कोप की सहायता से देखा जा सकेगा। जानकारों के अनुसार वर्ष 2018 में पृथ्वी से आकाश में बहुत कुछ रोचक देखने को मिलेगा।
उज्जैन से गुजरती है कर्क रेखा
बता दें कि, कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरती है। जिसे खगोल विज्ञान और काल गणना का केंद्र माना जाता है। उज्जैन के सबसे निकटतम शहर नागदा होने से रेखा का प्रभाव नागदा पर भी है। ज्योतिष गणना के लिए उज्जैन से नागदा स्थित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर भी बहुत से लोग पहुंचते हैं। इतना ही नहीं कई लोग भीकमपुर स्थित वृद्ध महाकालेश्वर मंदिर पर भी पहुंचकर आराधना करते हैं। आगमी 31 जनवरी को आने वाले पूर्ण चंद्रग्रहण नागदा के लिए उतना ही खास है, जितना उज्जैन के लिए।