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राम कण-कण में है और रावण का कोई वजूद नहीं-आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज

locationउज्जैनPublished: Apr 15, 2019 08:53:26 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने वाले सुधर जाएं। एेसे लोग अच्छे तरीके से समझ लें कि नाम के आगे रावण लगा लेने से कुछ नहीं होने वाला है।

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उज्जैन. धर्म और जाति के नाम पर राजनीति करने वाले सुधर जाएं। एेसे लोग अच्छे तरीके से समझ लें कि नाम के आगे रावण लगा लेने से कुछ नहीं होने वाला है। श्रीराम एक ऐसे संस्कृति महापुरुष हैं, जो कण-कण में समाहित हैं और जिनको पूरा विश्व में जाना जाता है। रावण का कोई वजूद नहीं है। देश के युवाओं को रामराज्य स्थापना की दिशा में कार्य करते रहना चाहिए।

रामराज्य स्थापित करने का स्वप्न देखें

उक्त बात आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज ने कहा ने पत्रकारों से चर्चा में कहीं। महाराज ने कहा कि आज देश को ऐसे युवाओं की जरूरत है जो राम के नाम पर बात करें। रामराज्य स्थापित करने का स्वप्न देखें और उसे साकार करने के लिए कदम बढ़ाएं। एक संगठन के प्रमुख द्वारा अपने नाम के साथ रावण लिखने पर महाराज का कहना है कि कुछ लोग का फैशन है अपने नाम के साथ रावण लगाकर खुद को महात्मा समझने लगते हैं। उन्हें यह याद रखना चाहिए कि राम बनकर देश और समाज का भला किया जा सकता है, रावण बनकर नहीं। पश्चिम बंगाल में राम नवमी का जुलूस रोके जाने से नाराज आचार्य कुशाग्रनंदी महाराज ने जुलूस को रोकने वाल यह नहीं भूले कि श्रीराम के साथ हनुमान जी की वानर सेना ने लंका पर विजय प्राप्त की थी।

कालेधन और अनुचित संपदा को लेकर महाराज ने कहा

कालेधन और अनुचित संपदा को लेकर महाराज ने कहा कि ऐसे नेताओं पर सख्त कार्रवाई जिनके पास बेनामी संपत्ति जब्त की गई है। हमें बाहरी देशों में जमा काले धन से ज्यादा चिंता देश की मासूम जनता के साथ गद्दारी करने वाले नेताओं के पास जमा पैसों की होनी चाहिए। नेताओं के पास दबा काला धन यदि बाहर आ जाता है तो किसी भी सरकार को 15 लाख देने का झूठा वादा नहीं करना पड़ेगा।

उज्जैन को पवित्र नगरी बनाने के लिए आन्दोलन की चेतावनी

लंबे समय से उज्जैन को पवित्र नगरी बनाए जाने की मांग कर रहे महाराज ने बताया कि उन्होंने मध्यप्रदेश शासन से इस विषय पर अति शीघ्र विचार करने का आग्रह किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र भी भेजा गया है। शासन- प्रशासन इस ओर सकारात्मक कार्रवाई नहीं करता है,तो जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा। भारत में सात ऐसे शहर है जहां की भूमि को पवित्र उत्तम फल देने वाला माना गया है। इन शहरों में एक नाम उज्जैन शहर का भी आता है। भगवान महावीर की तपस्थली रही उज्जैन नगरी को विश्व में महाकाल की नगरी के रूप में जाना जाता है। उज्जैन में मंदिर परिसर के समीप मांस और मदिरा जैसी दुकानें हैं। यह आस्था और स्थान की पवित्रता के साथ खिलवाड़ है। यहां शुद्धता का विशेष खयाल रखा जाना चाहिए। साफ सफाई के साथ-साथ सात्विक भोजन और सात्विक आचरण को बढ़ावा देने की तरफ ध्यान देना चाहिए।

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