त्रिस्तुतिक जैन श्रीसंघ अध्यक्ष मनीष कोठारी के अनुसार आचार्य नित्यसेन सूरिश्वर, सिद्धरत्न विजय, विद्वत रत्न विजय, प्रसम रत्नसेन विजय, तारक रत्न विजय, निर्भय रत्न विजय, दर्शित कलाश्री, यशोलताश्री आदि ठाणा के साथ बडऩगर रोड स्थित अभ्युदयपुरम् गुरुकुल पहुंच चुके हैं। राजस्थान भांडवपुर जिला जालोड़ से आचार्य गुजरात होते हुए पैदल विहार करते हुए करीब 600 किलोमीटर की यात्रा कर पहुंचेंगे। 21 जुलाई को सकल श्रीसंघ की नवकारसी शगुन गार्डन गणगौर दरवाजा के समीप होगी। इसके बद जुलूस अवंति पाश्र्वनाथ दानी गेट से प्रारंभ होगा, जो ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, छत्रीचौक, नई पेठ, भागसीपुरा, खाराकुआं, नमकमंडी, छोटा सराफा, बड़ा सराफा, सती गेट, कंठाल, निजातपुरा, कोयला फाटक होता हुआ महाकाल परिसर पहुंचेगा। इसके बाद महाकाल परिसर में आचार्यश्री के प्रवचन होंगे। चातुर्मास समिति के अध्यक्ष ऊर्जा मंत्री पारस जैन, मनीष कोठारी, शांतिलाल रूनवाल, नरेश बाफना, प्रकाश तल्लेरा, अनिल रूनवाल, नरेन्द्र तल्लेरा, राजमल कोठारी, नवीन बाफना, रमणलाल गिरिया, राजबहादुर मेहता, मदनलाल रूनवाल, संजय कोठारी, सुनील मेहता, दीपक डागरिया, शांतिलाल चत्तर, कपिल सकलेचा, राकेश वनवट, प्रमोद पटवा, रितेश खाबिया, रजत मेहता, शांताबहन मेहता, नीलम गिरिया, नितेश नाहटा, आदित्य भटेवरा ने समस्त दिगंबर, श्वेतांबर जैन समाजजनों से आचार्य के मंगल प्रवेश जुलूस में शामिल होकर सफल बनाने का अनुरोध किया है।
देश-विदेश से आए गुरुभक्त
नित्यसेन सूरिश्वर महाराज के उज्जैन पहुंचने से पहले ही राजस्थान, गुजरात, मुंबई, मद्रास, कर्नाटक, कोयंबटूर से गुरुभक्त उज्जैन पहुंच चुके हैं, जापान से भी गुरुभक्त उज्जैन पहुंचे हैं।
16 साल की उम्र में ली दीक्षा
आचार्य नित्यसेन सूरिश्वर का जन्म झाबुआ के राणापुर गांव में मातुश्री कंचन देवी, पिता चंपालाल दसेड़ा के घर हुआ था। माता-पिता ने सांसारिक नाम बंशीलाल रखा था। राष्ट्र संत जयंत सेन सूरिश्वर से 16 साल की उम्र में दीक्षा ग्रहण की। आचार्य को दीक्षा ग्रहण किए 51 वर्ष हो गए हैं। विक्रम संवत 2073 (वर्ष 2017) में आचार्य पदवी ग्रहण की। आचार्य की निश्रा में गुरु जन्म भूमि पेपराल को तीर्थ रूप देकर निर्माण किया। भविष्य में आचार्य की भावना जैन गुरुकुल की स्थापना की है, जहां बच्चों को संस्कारित किया जाए।