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चुनाव में आपत्तिजनक विज्ञापन डाल सकता है मुसीबत में, प्रत्याशी के साथ आम आदमी पर भी लागू कानून

locationउज्जैनPublished: Sep 23, 2018 07:35:12 pm

Submitted by:

Gopal Bajpai

निर्वाचन आयोग ने परिपत्र जारी कर सभी राजनैतिक पार्टियों, अभ्यर्थियों, व्यक्तियों, व्यक्तियों के समूहों, ट्रस्टों आदि को आगाह

They take so much votes that the equation of BJP-Congress candidate's

bjp congress bsp

उज्जैन. चुनाव के समय विज्ञापन प्रमाणिकरण का नियम प्रत्याशी के साथ अन्य लोगों पर भी लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार राजनीतिक प्रकृति के विज्ञापनों के जारी करने से पूर्व प्रमाणीकरण जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर वालों पर कार्रवाई हो सकती है। दरअसल, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अधिकांश आपत्तिजनक विज्ञापन जारी कर दिए जाते है। बाद में इसे लेकर विवाद की स्थिति बन जाती है।

निर्वाचन आयोग ने परिपत्र जारी कर सभी राजनैतिक पार्टियों, अभ्यर्थियों, व्यक्तियों, व्यक्तियों के समूहों, ट्रस्टों आदि को आगाह किया है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में राजनीतिक प्रकृति के विज्ञापनों को जारी करने के पूर्व उनका सक्षम समिति से प्रमाणीकरण आवश्यक है। निर्वाचन आयोग ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इस आशय के निर्देश न केवल चुनाव अवधि, बल्कि सामान्य समय में भी लागू होते हैं। बिना प्रमाणीकरण के विज्ञापन जारी किए जाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि निर्वाचन के दौरान विज्ञापनों का प्रमाणीकरण जिला स्तर पर गठित एमसीएमसी द्वारा किया जाएगा और सामान्य दिनों में कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित केबल नैटवर्क मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा किया जाता है।

कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी मनीष सिंह ने इस संबंध में बताया, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13 अप्रैल 2004 को जारी किए गए आदेश में निर्देशित किया है कि राजनीतिक प्रकृति के विज्ञापन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आने के पूर्व इनका प्री सर्टिफिकेशन अनिर्वाय है। यह अनिवार्यता सभी राष्ट्रीयए राज्यस्तरीय चैनल्स एवं स्थानीय केबल नेट वर्क पर लागू होगी। सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितम्बर 2007 के आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि इस तरह के विज्ञापन न केवल निर्वाचन के दौरान ही बल्कि हमेशा सामान्यतरू प्रमाणन के उपरान्त ही दिखाए जा सकेंगे।

स्थानीय केबल का ज्यादा प्रयोग
चुनाव के समय प्रत्याशी स्थानीय केबल ऑपरेटर के माध्यम से संचालित होने वाले लोकल चैनल पर अपने पक्ष में प्रचार करवाते है। अधिकांश यह प्रचार समाचार की तरह प्रदर्शित किया जाता है। इसमें कई बार दूसरे प्रत्याशी के खिलाफ मान हानि वाला विज्ञापन भी जारी कर दिया जाता है। निर्वाचन आयोग ऐसे चैनल पर चुनाव के समय रोक भी लगा देती है।

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