जीत के बावजूद भाजपा सत्ता से बाहर…
उज्जैन शहर के करीब 4.30 लाख मतदाताओं ने अपने विधायकों के रूप में अच्छे बहुमत से भाजपा को चुना, लेकिन इस बड़ी जीत के बावजूद भी भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा। कांगे्रस का वनवास खत्म हुआ लेकिन शहर में सत्ता व विपक्षी विधायकों के तालमेल को लेकर चिंता जायज है। शहरवासियों में इसको लेकर अजीब तरह की कसक है कि कहीं अब विकास की गति धीमी ना हो जाए। हालांकि साल 2020 तक नगर निगम में भाजपा बोर्ड है, जिससे विधायकों का समन्वय रहेगा। प्रचलित प्रोजेक्ट का इन पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा।
पारस-मोहन के मतों में कुल 144 का अंतर
मौजूदा विधानसभा चुनाव में शहर के विजयी उम्मीदवारों के प्राप्त मतों में अंतर मामूली रहा। उत्तर से पारस जैन 77271 तो दक्षिण से मोहन यादव को 77127 मत प्राप्त हुए। यानी इन दोनों के प्राप्त मत में 144 का ही अंतर है। अमूमन हर चुनाव में उत्तर-दक्षिण से विजयी प्रत्याशियों के मत में बड़ा अंतर रहता है। दोनों सीटों पर कांग्रेस के बागियों ने भी भाजपा प्रत्याशियों के जीत के आंकड़े को प्लस किया। दक्षिण में तो निर्दलीय जयसिंह दरबार जीत के अंतर से से अधिक वोट ले गए।
तब सरकार दिग्विजयसिंह की बनी, शहर से विधायक भाजपा के जीते
फ्लैश बैक – साल 1993 के विस चुनाव
उज्जैन उत्तर
डॉ. बटुकशंकर जोशी – प्राप्त मत 38213
उज्जैन दक्षिण शिवा कोटवाणी – प्राप्त मत 45842
महावीरप्रसाद वशिष्ठ – प्राप्त मत – 36440 जीत का अंतर – 9402 मत
अब फिर सरकार कांग्रेस की बनी, शहर से भाजपा के विधायक जीते
उज्जैन उत्तर पारस जैन – प्राप्त मत 77271
राजेंद्र भारती – 51547 जीत का अंतर – 25724
उज्जैन दक्षिण मोहन यादव – प्राप्त मत 77127
राजेंद्र वशिष्ठ – 58495 जीत का अंतर – 18632