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आ​खिर क्याें हाइपर टेंशन का ​शिकार हो रहे युवा, जानिए क्यों कहते हैं इसे साइलेंट किलर

locationउज्जैनPublished: May 17, 2022 11:14:34 pm

Submitted by:

aashish saxena

हाइपर टेंशन के मरीजों में से 25 फीसदी युवा, तनाव और खराब खान-पान के कारण बढ़ रही समस्या

After all, why are the youth falling prey to hyper tension

हाइपर टेंशन के मरीजों में से 25 फीसदी युवा, तनाव और खराब खान-पान के कारण बढ़ रही समस्या

उज्जैन. किडनी फेल होने के कारण शहर के करीब 35 वर्षीय एक युवक को सोमवार को अस्पताल में भर्ती किया गया है। युवक बीपी-हायपर टेंशन से पीडि़त था लेकिन उसे इस साइलेंट कीलर का पता चलता, इससे पहले यह घातक बीमारी अपना काम कर चुकी थी। सिर्फ एक ही मामला ऐसा नहीं है, हाइपर टेंशन बड़ों के साथ रोज कई युवाओं को अपना शिकार बना रही है जिसके अलग-अलग परिणाम सामने आ रहे हैं।

मंगलवार को विश्व हायपर टेंशन दिवस है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य से लोगों को में इसके प्रति जागरुकता फैलाना है लेकिन चिंता की बात है कि अभी भी कई लोग इसको लेकर गंभीर नही है। स्थिति यह है कि हाइपर टेंशन की जो समस्या पहले अमूमन 45 वर्ष की उम्र से अधिक के लोगों में पाई जाती थी, वह अब 25-30 साल के युवाओं में मिलने लगी है। युवाओं में बढ़ रही इस बीमारी का प्रमुख कारण अव्यवस्थित जीवनशैली है। विशेषज्ञ इस स्थिति को काफी गंभीर मान रहे हैं। वल्र्ड हायपर टेंशन डे के अवसर पर पत्रिका ने वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. डॉ. विजय गर्ग से चर्चा की और जाने इसके कारण, लक्षण व बचाव के तरीके।

हर पाचवां व्यक्ति शिकार, इसमें 25 फीसदी युवा

डॉ. विजय गर्ग ने बताया कि हायपर टेंशन हृदय को नुकसान पहुंचाने वाला शरीर में छीपा ऐसा छुरा होता है जिसकी जानकारी 80 फीसदी मरीजों को नहीं होती है। विशेषकर अधिकंाश पीडि़त युवाओं को तब पता चलता है जब हृदयघात, ब्रेन स्ट्रोक या अन्य कोई घातक परिणाम सामने आ जाते हैं। डॉ. गर्ग ने बताया कि हर पांचवा व्यक्ति रक्तचाप-हायपर टेंशन से पीडि़त है और इन मरीजों में से 25 फीसदी युवा हैं। इस बीमारी से पीडि़त युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसका मुख्य कारण खराब जीवनशैली है। युवा किसी भी स्थिति में खुश रहना नहीं चाहते, जिसके कारण तनाव बढ़ता है। इस पर भी अनियमित खानपान, अव्यवस्थित दिनचर्या, शराब-सीगरेट का सेवन आदि इस खतरे को और बढ़ा देते हैं। इसलिए स्वास्थ्य की नियमित जांच करवाएं। बीपी की समस्या के कारण सिर्फ हृदय ही नहीं ब्रेन, कीडनी आदि आर्गेन भी डेमेज हो सकते हैं। इसलिए यदि किसी को बीपी की समस्या है तो वह बीपी के साथ शुगर, कीडनी आदि की भी समय-समय पर जांच जरूर करवाएं।

क्या है हाइपर टेंशन

हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप)। यह एक खतरनाक बीमारी है। दरअसल, यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव काफी बढ़ जाता है और इसके कारण रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बनाए रखने के लिए हृदय को सामान्य से अधिक काम करने की जरूरत पड़ती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पडऩे की बड़ी वजह हाइपरटेंशन ही होती है। इसके अलावा इससे मस्तिष्क, किडनी और अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि यह दुनियाभर में समय से पहले मौत का एक प्रमुख कारण है।

यह है लक्षण, नजर अंदाज न करें

– सिर दर्द
– सिर चकराना
– थकान और सुस्ती लगना
– दिल की धड़कन बढ़ जाना
– सीने में दर्द
– सांस तेज चलना या सांस लेने में तकलीफ
– धुंधला दिखना

यह है प्रमुख कारण

– तनाव।
– व्यायाम नहीं करना।
– अनियंत्रित खानपान।
– तेलीय पदार्थ का अधिक सेवन।
– खाने में नमक का अधिक उपयोग।
– मोटापा
– नींद की कमी।
साइलेंट कीलर से ऐसे बचे
– नियमित व्यायाम करें।
– दिनचर्या को व्यवस्थित बनाएं।
– पौष्टीक भोजन लें।
– खुश रहे, चिंता-तनाव से दूर रहें।
– फल, सब्जियां और अंकुरित अनाज लें।
– पर्याप्त निंद लें।
– शराब और धूम्रपान छोड़ें
– प्रत्येक 5 वर्ष में स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं। 30 वर्ष की उम्र के बाद हर साल जांच करवाएं।
– बीपी की सस्या होने पर बीपी के साथ, शुगर, कीडनी आदि की भी जांच करवाएं।

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