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ज्योतिषियों के मुताबिक इस तिथि से ही सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं। इसी कारण इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। भगवान नर और नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था। इसी दिन भगवान परशुराम जी का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही श्री बद्रीनारायण जी के पट खुलते हैं। इस मौके पर तिल समेत कुशों के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है।इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है। गौरी व्रत रखने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है। अक्षय तृतीया पर गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है। इसी के सात ही दान-पुण्य करने से घर में धन की कमी नहीं रहती है, साथ ही परिवार में वैभव भी बढ़ता है।
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नहीं होंगे सामूहिक विवाह
कोरोना संक्रमण के कारण अक्षय तृतीया पर दूसरे साल भी सामूहिक विवाह सम्मेलन नहीं हो पाएंगे। अक्षय तृतीया पर अबूझ मुहूर्त में कई लोगों की शादियां होती हैं, लेकिन इस बार पिछले वर्ष की तरह शादियां नही हो पाएंगी, क्योंकि प्रशासन ने आयोजन पर रोक लगा रखी है।
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पेड़ लगाकर मनाएंगे परशुराम जयंती
लाकडाउन एवं कोरोना के कारण इस साल भगवान परशुराम प्रकटोत्सव पर चल समारोह नहीं निकाला जाएगा। प्रत्येक जीव को शुद्ध ऑक्सीजन के देने वाले पेड़ लगाओ और परशुराम जयंती मनाओ, अभियान का शुभारंभ 14 मई प्रातः 10 बजे से किया जाएगा। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेंद्र चतुर्वेदी, महामंत्री तरुण उपाध्याय, सचिव शैलेंद्र द्विवेदी, विनय ओझा, गौरव नारायण उपाध्याय ने यह जानकारी दी।
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इस दिन पंच दीपक रोशन करें
इस साल भगवान परशुराम का जन्मोत्सव विप्र बंधुओं की ओर से सादगी पूर्वक ही घरों में माया जाएगा। विश्व ब्राह्मण समाज संघ की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में घर के बाहर पांच दीपक रोशन करने की अपील की है।
घर में जरूर रखें कलश
घर में सुख-समृद्धि के साथ ही अच्छे स्वास्थ्य के लिए हर घर में कलश जरूर रखें। कलश में पानी भरकर उसके ऊपर आम के पत्ते रख दें और उसके ऊपर नारियल या कोई भी फल रख दें। कलश के नीचे गेहूं के दाने रखकर उसकी पूजा करें और फल को मंदिर में या किसी जरूरतमंद को दान कर दें।