अपने पितरों तथा भगवान विष्णु के निमित्त करें घट का दान
वैशाख मास में जल दान का विशेष महत्व है। धर्म शास्त्रीय मान्यता अनुसार देखें तो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर अर्थात आखातीज पर दो घट का दान अवश्य करना चाहिए, जिसमें 1 घट पितरों का और दूसरा घट भगवान विष्णु का माना गया है।
घट दान करने की यह विधि है कि दोनों ही घट को जल से पूर्ण कर लें, पितरों वाले घट में काले तिल डाल दें। चंदन डाल दे सफेद पुष्प डाल दें, वही भगवान विष्णु के घट में जल भरकर सफेद जौ, पीला पुष्प, चंदन और पंचरत्न या पंचामृत यह डाल कर दोनों ही घट के ऊपर सफेद वस्त्र से ढांक दें। ऊपर खरबूजा का फल रखकर यथा विधि पंचोपचार पूजन कराने के पश्चात दो अलगअलग ब्राह्मणों को अभिजीत मुहूर्त में दान करें ऐसी मान्यता है पितरों के घट का जल है, वह पितरों को प्राप्त होता है।
भगवान विष्णु का जल घट अक्षय पुण्य की प्राप्ति करवाता है, इसलिए धर्म शास्त्र में इन दोनों ही जल घट के दान की विशिष्ट महिमा बताई गई है। ऐसा कहा गया है कि यह करने से परिवार में सुख शांति समृद्धि वंश वृद्धि तथा भगवान विष्णु के चरणों में प्रीति होती है।
पांच दशक बाद इस प्रकार के बनते हैं संयोग
ग्रह गोचर तथा नक्षत्र एवं वार तिथि योग के संयोग उनके साथ में ग्रहों का उच्च अथवा स्वराशि में होना एक विशिष्ट सिद्धांत की व्याख्या करता है। संसार को प्रकृति अपने विशेष अनुग्रह से लाभान्वित करती है। साथ ही उच्च ग्रहों का सहयोग भी परिवेश को परिवर्तित करने में असमर्थ समान रहता है। इस दृष्टि से कुछ समय के लिए ही सही किंतु विश्व शांति के लिए प्रभावी रास्ता आगे आएंगे और शांति की स्थापना का प्रयास करेंगे।
दो ग्रह उच्च के व दो ग्रह स्वराशि में होंगे
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार ग्रह गोचर की मान्यतानुसार देखें तो गोचर में दो ग्रह उच्च के रहेंगे। चंद्र व शुक्र दोनों ही अपनी उच्च राशि में अवस्थित रहेंगे। चंद्रमा उच्च राशि वृषभ तथा शुक्र अपनी उच्च राशि मीन में होंगे। वहीं दो ग्रह अपनी स्वयं की राशि में रहेंगे, जिनमें क्रमश: शनि अपनी राशि कुंभ तथा बृहस्पति स्वयं की राशि मीन में होंगे। इस प्रकार से 4 ग्रहों का अनुकूल स्थिति में होना यह एक विशिष्ट स्थिति का भी निर्माण करता है, क्योंकि इनके दृष्टि संबंध स्थान के दोष को निवृत्त कर देते हैं तथा बाधा से जुड़े मामलों में निराकरण की स्थिति को सामने लाते हैं।